तंवर पहले अध्यक्ष, जो नहीं बना पाए अपनी कार्यकारिणी

तंवर पहले अध्यक्ष, जो नहीं बना पाए अपनी कार्यकारिणी

हरियाणा कांग्रेस के पांच दशक के इतिहास में अशोक तंवर पहले ऐसे प्रदेशाध्यक्ष हैं जिन्होंने विवादों के बीच अपना कार्यकाल तो पूरा कर लिया लेकिन कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए। शुरू से लेकर अंत तक विवादों ने तंवर का साथ नहीं छोड़ा। गुटबाजी के हालात यह रहे कि तंवर और हुड्डा गुट में नौबत मारपीट तक पहुंच गई।
कांग्रेस हाईकमान ने अशोक तंवर को फरवरी 2014 में प्रदेश की कमान सौंपी थी। तंवर के अध्यक्ष बनते ही सबसे पहले लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई जबकि अन्य सीटों पर चुनाव हार गई। इसके बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव, नगर निगमों के चुनाव में कांग्रेस का सुपड़ा साफ होता चला गया।
तंवर द्वारा बुलाई गई बैठकों में हुड्डा गुट कभी नहीं आया। हुड्डा व तंवर की गुटबाजी के बीच पार्टी ने तीन प्रभारी भी बदले लेकिन कांग्रेस पटड़ी पर नहीं आई। हरियाणा कांग्रेस के इतिहास में यह भी देखा जाएगा कि अशोक तंवर पहले ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष हैं जो अपने कार्यकाल के दौरान ब्लाक व जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए। आज भी हरियाणा में पूर्व अध्यक्ष फूलचंद मुलाना के कार्यकाल में नियुक्त किए गए ब्लाक व जिला अध्यक्ष स्टैंड कर रहे हैं।
तंवर के कार्यकाल के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने जिला स्तर पर बैठकों का आयोजन किया और हुड्डा गुट के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन बैठकों में हंगामा कर दिया। जिससे तंवर को बैठकों का आयोजन बीच में ही रोकना पड़ा। तंवर ने साइकिल यात्रा भी निकाली लेकिन वह भी विवादों में घिरी रही।
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