भिवानी।
नि:संदेह होली रंगों का त्यौहार है। यह सालभर में आने वाला ऐसा उत्सव है, जिस दिन हम सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते हैं और परिवार में खुशियों की शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन नागरिक इस दिन होली खेलने के नाम पर बेइंतहा पानी की बर्बादी करते हैं। जिला में मौटे तौर पर लगभग दो लाख पानी के वैध कनेक्षन हैं। प्रति कनेक्षन कम से कम औसतन 50 लीटर पानी की होली खेलने के नाम पर बचत करें तो 10 लाख मिलियन लीटर पानी की बचत होती है। दूसरी तरफ जिला में वैध से दो गुणा कनेक्षन अवैध मानते हैं और इन सभी को तीन गुणा किया जाए तो तीस मिलियन लीटर पानी की बचत की जा सकती है। यानि हम होली पर तीन करोड़ लीटर पानी की बचत कर सकते हैं। उपायुक्त नरेश नरवाल ने जिला जिलावासियों विशेषकर युवा वर्ग से होली पर बर्बाद होने वाले 30 मिलियन लीटर यानि तीन करोड़ लीटर पानी की बचत करने का आह्वïान किया है।
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा जारी किए गए पेयजल कनेक्षनों की बात की जाए तो जिला में करीब एक लाख 96 हजार 834 अवैध कनेक्षन हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्र में एक लाख 54 हजार 10 तथा शहरी क्षेत्र में 42 हजार 824 कनेक्षन हैं। शहरी क्षेत्र की बात की जाए तो भिवानी शहरी क्षेत्र में करीब 32 हजार 749, कस्बा बवानीखेड़ा में तीन हजार 641, लोहारू में दो हजार 753 और सिवानी कस्बा क्षेत्र में तीन हजार 660 वैध पेयजल कनेक्षन हैं। इन वैध कनेक्शनों के अलावा इनसे दुगने कनेक्षन ऐसे हैं, जिनका विभाग में रिकार्ड दर्ज नहीं है। यानि जिला में करीब तीन लाख पेयजल कनेक्षन हैं, जिनमें पेयजल की आपूर्ति होती है। सरकारी तौर पर निर्धारित जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन विभाग इससे अधिक ही पेयजल की आपूर्ति करता है।
होली आने के साथ-साथ गर्मी का मौसम भी अपने परवान पर आने लगता है, जिससे पेयजल की खपत बढ़ जाती है। अक्सर होली रंगों के साथ कम बल्कि पानी के साथ ज्यादा होली खेलते हंै। मौटेतौर पर अनुमान लगाते हैं प्रति कनेक्षन कम से कम 50 लीटर पेयजल होली खेलने के नाम पर बर्बाद होता है। इस हिसाब से वैध कनेक्षनों की बात करें तो 10 मिलियन लीटर यानि जिला में एक करोड़ लीटर पानी अवैध कनेक्शनों के माध्यम से बर्बाद हो जाता है। वहीं दूसरी ओर इनमें अवैध कनेक्शनों को शामिल कर देते हैं यह मात्रा दो गुणा बढक़र कुल तीन गुणा हो जाती है यानि 30 मिलियन लीटर जो तीन करोड़ लीटर बनता है। ऐसे में हम सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि हम होली के नाम पर कितना पेयजल बर्वाद करते हैं। पेयजल आपूर्ति विभाग के कनिष्ठï अभियंता कुनाल जैन ने कहा कि नागरिक जरा सा ध्यान देकर होली खेलने के नाम पर बर्बाद होने वाले इस तीन करोड़ लीटर पयेजल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।
नागरिक रंगों से होली खेलकर पेयजल की बर्बादी रोकें: डीसी
उपायुक्त नरेश नरवाल ने जिलावासियों को अपनी तरफ से होली की शुभकामनाएं देने के साथ-साथ पानी की बर्वादी रोकने का आह्वïान किया है। उपायुक्त ने कहा है कि होली रंगों का त्यौहार है और नागरिक रंगों से एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दें। होली खेलने के नाम पर पेयजल की बर्बादी रोकें और होली के दिन पानी बचत करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि पानी की एक-एक बूंद कीमती है। गर्मी के मौसम के चलते नागरिकों को चाहिए कि वे पानी को व्यर्थ न बहाएं।
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