दिल्ली।
जूनियर शिक्षक भर्ती (JBT Recruitment) घोटाले में सजा काट रहे अजय चौटाला की सजा पूरी हो गई है। दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया था। यह था मामला यह था पूरा मामला रोहिणी स्थित विशेष सीबीआई जज विनोद कुमार ने 308 पेज के अपने फैसले में इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया था। वर्ष 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में पूर्व आईएएस संजीव कुमार, पूर्व आईएएस विद्याधर, मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी और 16 महिला अधिकारियों को भी दोषी करार दिया था। मालूम हो कि संजीव कुमार ने ही सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया था, लेकिन सीबीआई जांच में वह खुद भी इसमें लिप्त पाए गए। विद्याधर तब चौटाला के ओएसडी थे, जबकि बडशामी उनके राजनीतिक सलाहकार थे।
संजीव कुमार ने वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। सीबीआई ने वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेबीटी मामले की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने 2008 में कुल 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई अदालत ने जुलाई 2010 में आरोप तय किए थे। मामले की सुनवाई करीब ढाई साल पहले सीबीआई अदालत में शुरू हुई थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष के 68 और बचाव पक्ष के 25 गवाहों की गवाही हुई। अभियोजन पक्ष के गवाहों में तीन आईएएस अधिकारियों रजनी शेखर सिब्बल, विष्णु भगवान व पीके महापात्रा की गवाही काफी अहम रही थी।
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