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Haryana: हरियाणा की इस मंडी में सिलाई घोटाले का लेकर बड़ा खुलासा, जाने पूरा मामला ?

 

Haryana: हरियाणा से बड़ी खबर सामने आ रही है। हरियाणा के करनाल में सरकार की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, मंडी में बोरियों की सिलाई की हेराफेरी में मंडी प्रधान और ठेकेदार द्वारा अपने ही मुंह से बड़े खुलासे करने के बावजूद भी अधिकारियों में मामले को लेकर कोई गंभीरता नजर नहीं आई। 

मिली जानकारी के अनुसार, सरकार को लाखों रुपए का फटका आढ़तियों द्वारा सरेआम लगाया जा रहा है, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे बैठे है। नियमों के अनुसार, सरकार 2 रुपए 12 पैस प्रति कट्टा सिलाई के लिए देती है, लेकिन ठेकेदार को प्रति कट्टा सिलाई सिर्फ एक रुपए दिया जाता है। Haryana News 

जानकारी के मुताबिक, मंडी में सिलाई ठेकेदार चंद्रवली खुलासा कर चुका है कि उसे कट्टे की सिलाई के लिए महज एक रुपया प्रति कट्टा मिलता है और इसकी पुष्टि मंडी के प्रधान ने भी मीडिया के सामने कर दी थी और यह भी खुलासा कर दिया था कि बाकी का पैसा आढ़तियों के पास ही रहता है। अपने ही बयानों में फंसने के बाद मंडी प्रधान ने चालाकी दिखाई और मंडी एसोसिएशन के लेटर हेड पर चंद्रवली के पाटनर हेमंत से लिखवा लिया कि ठेकेदार ने अपनी पूरी मजदूरी ले ली है और मंडी के साथ उसका कोई विवाद नहीं है। 

मिली जानकारी के अनुसार, यह लेटर आज या कल नहीं बल्कि 28 अप्रैल 2025 को दिया गया है, जबकि ठेकेदार चंद्रवली ने 2 मई को गड़बड़झाले का खुलासा किया था। जबकि मंडी सचिव ने कहा कि यह बैक डेट का लेटर 3 मई को मुझे मिला है। Haryana News

मामले को टालते अधिकारी

जानकारी के मुताबिक, वहीं अब मंडी प्रबंधन के जिम्मेवार अधिकारी मामले में जांच को लेकर एक दूसरे के पाले में गेंद डालते नजर जा रहे है। DFSC अनिल कुमार कहना है कि उनका काम लिफ्टिंग तक का है। बाकी जिम्मेदारी मार्किट कमेटी सचिव की है। जब मार्किट कमेटी सचिव आशा रानी से बात की गई तो उनका कहना था कि यह मामला DFSC विभाग का है।

मिली जानकारी के अनुसार, दोनों की तरफ से कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतना बड़ा घोटाला मंडी में हुआ और अधिकारी उसकी जांच की बात तो दूर मामले को टालने में लगे हुए है। जब मंडी के जिम्मेदार ही मामले को लेकर गंभीर नहीं है तो जांच कौन करेगा? कैसे सरकार का जीरो टॉलरेंस का सपना साकार होगा? Haryana News

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, मंडी में आढ़तियों ने सरकार से प्रति कट्टा सिलाई के लिए 2 रुपए 12 पैसे लिए, लेकिन मजदूरों को और ठेकेदारों को महज एक रुपया प्रति कट्टा दिया गया। करनाल मंडी में अब तक करीब 26 लाख कट्टों की सिलाई हो चुकी है। ऐसे में लाखों रुपए का घोटाला सामने आया है, जिसमें बाकायदा मंडी प्रधान और आढ़तियों की आपसी "एडजस्टमेंट" से पैसा डकार लिया गया।

सिर्फ एक रुपए में सिलाई

मिली जानकारी के अनुसार, सिलाई का ठेका करने वाले चंद्रवली यादव ने बताया था कि करनाल मंडी में अब तक 30 लाख कट्टों की आवक हुई है, जिनमें से 26 लाख से अधिक कट्टों की सिलाई हो चुकी है। इस काम के लिए उन्होंने लगभग 100 कर्मचारियों को लगाया और 120 सिलाई मशीनें लेकर आए। Haryana News

जानकारी के मुताबिक, चंद्रवली का कहना है कि एक कट्टे की सिलाई का रेट एक रुपया दिया गया, जबकि सारा मटेरियल – धागा, मशीन और लेबर – उनकी ओर से था। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक उन्हें सिर्फ सात से आठ लाख रुपए ही मिले हैं, बाकी पैसे लेने के लिए वह चक्कर काट रहे हैं।

कार्यप्रणाली पर सवाल

​​​​​​​मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रवली ने यह भी खुलासा किया था कि मंडी में जब ठेका मिलता है, तो आढ़तियों की पंचायत होती है जिसमें 5-7 ठेकेदार हिस्सा लेते हैं। इनमें बोली लगती है और मंडी एसोसिएशन प्रधान सुरेंद्र त्यागी का इसमें मुख्य रोल होता है। वही तय करते हैं कि किसे ठेका देना है और कितना रेट देना है। Haryana News

बचा पैसा आढ़ती के पास

​​​​​​​जानकारी के मुताबिक, जब मंडी प्रधान सुरेंद्र त्यागी से पूछा था तो उन्होंने यह माना था कि सरकार से तो 2 रुपए 12 पैसे प्रति कट्टा मिलते हैं, फिर ठेकेदार को सिर्फ एक रुपया क्यों दिया गया, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। जब यह सवाल पूछा गया कि 2.12 रुपए में से एक रुपया दिया गया तो बचा हुआ पैसा कहां गया, तो मंडी प्रधान ने जवाब दिया कि वह पैसा सरकार के पास नहीं जाता, बल्कि आढ़ती के पास ही आता है और वही उसे रखता है।

मिली जानकारी के अनुसार, वहीं उनसे जब ठेकेदार के पाटनर से उनके लेटर पेड से बैक डेट में मंडी सचिव को संतुष्टी पत्र लिखवाने के बार में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमने इस विवाद के बाद ठेकेदार से पूछा था तो उन्होंने हमारे लैटर हेड पर ये पत्र लिखकर दे दिया। लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि वो लेटर बैक डेट का है। हम दोबार ठेकेदार से पूछकर कल की डेट का लैटर लिखवाकर दोबारा दिलवा देंगे। Haryana News

कम से कम में ठेका

​​​​​​​जानकारी के मुताबिक, ठेकेदार चंद्रवली यादव ने यह भी खुलासा किया था कि मजदूरों को काम देने के लिए हमें ही रेट कम करने पड़ते हैं। हम सोचते हैं कि मजदूर आदमी है, खाली बैठेगा तो क्या खाएगा, इसलिए जैसे-तैसे काम करवा रहे हैं। लेकिन इस व्यवस्था में असली नुकसान तो मजदूरों और ठेकेदारों का ही हो रहा है।