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Haryana News: CM नायब सैनी ने CET को लेकर दिया बड़ा अपडेट, इस तारीख से जारी होंगे फॉर्म भरने

 
Haryana News: हरियाणा में सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) परीक्षा को लेकर लाखों युवा लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने अभी तक इस परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। हाईकोर्ट ने आयोग को यह परीक्षा 31 दिसंबर तक आयोजित कराने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक न तो परीक्षा के फॉर्म जारी किए गए हैं और न ही परीक्षा की तिथि घोषित की गई है। परीक्षा में देरी का मुख्य कारण सीईटी पॉलिसी में संभावित संशोधन बताया जा रहा है। इस वजह से न केवल उम्मीदवारों की तैयारियों पर असर पड़ रहा है, बल्कि युवा वर्ग के बीच अनिश्चितता भी बढ़ रही है। युवाओं और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है तो यह प्रक्रिया और अधिक लंबी खिंच सकती है, जिससे राज्य में सरकारी नौकरियों के इच्छुक उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है। हरियाणा की सीईटी परीक्षा को लेकर उम्मीदवारों में नाराज़गी और चिंता बढ़ रही है। यह परीक्षा लाखों युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों के दरवाजे खोलती है, लेकिन बार-बार हो रही देरी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। देरी के मुख्य कारण: 1. सीईटी पॉलिसी में संशोधन: सरकार और आयोग ने सीईटी पॉलिसी में कुछ बदलावों की बात कही है, लेकिन अब तक कोई ठोस दिशा-निर्देश सामने नहीं आए हैं। इन बदलावों के चलते प्रक्रिया में देरी हो रही है।   2. प्रशासनिक लापरवाही: नोटिफिकेशन जारी न होना और परीक्षा की तारीख तय न करना प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही को दर्शाता है। पहले भी कई परीक्षाएं देरी का शिकार हुई हैं, जिससे युवा बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं।   3. हाईकोर्ट की समय-सीमा: हाईकोर्ट ने 31 दिसंबर तक परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था, लेकिन इतनी धीमी प्रक्रिया से यह समय-सीमा पूरी होती नहीं दिख रही। युवाओं की परेशानी: अनिश्चितता का माहौल: उम्मीदवार यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे अपनी तैयारी जारी रखें या अन्य विकल्पों की तलाश करें। वित्तीय और मानसिक दबाव: कई उम्मीदवार प्राइवेट कोचिंग और अन्य संसाधनों पर खर्च कर रहे हैं। हर बार देरी से उनका खर्च और तनाव बढ़ रहा है। भविष्य की योजनाओं पर असर: परीक्षा के परिणाम में देरी से अन्य परीक्षाओं की तैयारी और रोजगार के अवसर प्रभावित हो रहे हैं। सुझाव और मांगें: स्पष्ट टाइमलाइन: सरकार और HSSC को सीईटी परीक्षा के लिए एक निश्चित टाइमलाइन घोषित करनी चाहिए। संशोधन शीघ्र पूरा करें: सीईटी पॉलिसी में बदलाव जल्द से जल्द तय किए जाएं ताकि देरी और विवाद से बचा जा सके। युवाओं से संवाद: सरकार को उम्मीदवारों के साथ संवाद कर उनकी चिंताओं को दूर करना चाहिए। अगर जल्द ही इस प्रक्रिया को दुरुस्त नहीं किया गया, तो यह युवाओं के बीच असंतोष और बढ़ा सकता है। इससे न केवल सरकार की साख पर असर पड़ेगा बल्कि राज्य में रोजगार से जुड़ी योजनाओं की विश्वसनीयता भी कम हो सकती है।