Haryana: हरियाणा का 'सुपर नटवरलाल' 40 दिन बना रहा फर्जी जज, खुद समेत अपने 2700 साथियों को दी जमानत
Haryana: ‘सुपर नटवरलाल’ के नाम से मशहूर हरियाणा के रहने वाले धनीराम मित्तल को ‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ के नाम से भी जाना जाता था। धनीराम ऐसा चोर था, जिसने अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी वारदातें करना नहीं छोड़ था
मिली जानकारी के अनुसार, 77 साल की उम्र में उसे दिल्ली के रानीबाग इलाके से कार चोरी के केस में पकड़ा गया। 4 दिन बाद दिल्ली की रोहणी कोर्ट में धनीराम मित्तल की एक मामले में पेशी भी होनी थी। इसके अलावा, फर्जी जज बनकर 2700 से ज्यादा आरोपियों को जमानत भी दे दी थी।
जानकारी के मुताबिक, भिवानी जिले के रहने वाले धनीराम मित्तल का का जन्म 1939 में हुआ था। उसकी गिनती देश के सबसे स्कोलर (विद्वान) और इंटेलिजेंट (बुद्धिमान) अपराधियों के रूप में होती थी। 'Super Natwarlal' Dhaniram Mittal
अपने जमाने का ऐसा हाईटेक अपराधी जो न केवल फर्जी जज बनकर काफी समय तक असली जज की कुर्सी पर बैठकर फैसले सुनाता रहा, बल्कि उसने कानून में स्नातक की डिग्री लेने के बाद भी अपराध की दुनिया में कदम रखा।
धनीराम अपने मुकदमों की खुद ही कोर्ट में पैरवी करता था। फिलहाल धनीराम एक पुराने केस में चंडीगढ़ की जेल में 2 माह की कैद काटकर आया था।
1 हजार से ज्यादा कार चोरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धनीराम का नाम दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में एक हजार से ज्यादा कार चोरी के केस में आया। वह इतना शातिर था कि उसने खास तौर से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और आसपास के इलाकों में दिनदहाड़े इन चोरियों को अंजाम दिया। 'Super Natwarlal' Dhaniram Mittal
उस पर अनगिनत मामले दर्ज थे। जिसकी वजह से वह जेल भी गया। कानून की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के अलावा ग्राफोलॉजिस्ट होने के बावजूद उसने चोरी के जरिए ही जिंदगी गुजारने का रास्ता चुने रखा।
जज बनकर बैठा रहा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 से 1975 के बीच की बात है धनीराम ने एक अखबार में हरियाणा के झज्जर में एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर पढ़ी। इसके बाद उसने कोर्ट परिसर जाकर जानकारी ली और एक चिट्ठी टाइप कर सीलबंद लिफाफे में वहां रख दिया। उसने इस चिट्ठी पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की फर्जी स्टैंप लगाई, हूबहू साइन किए और विभागीय जांच वाले जज के नाम से इसे पोस्ट कर दिया। 'Super Natwarlal' Dhaniram Mittal
इस लेटर में उस जज को 2 महीने की छुट्टी भेजने का आदेश था। इस फर्जी चिट्ठी और उस जज ने सही समझ लिया और छुट्टी पर चले गए। इसके अगले दिन झज्जर की उसी कोर्ट में हरियाणा हाईकोर्ट के नाम से एक और सीलबंद लिफाफा आया, जिसमें उस जज के 2 महीने छुट्टी पर रहने के दौरान उनका काम देखने के लिए नए जज की नियुक्ति का आदेश था। इसके बाद धनीराम खुद ही जज बनकर कोर्ट पहुंच गया।
'Super Natwarlal' Dhaniram Mittal सभी कोर्ट स्टाफ ने उन्हें सच में जज मान लिया। वह 40 दिन तक मामलों की सुनवाई करता रहा और हजारों केस का निपटारा कर दिया। धनीराम ने इस दौरान 2700 से ज्यादा आरोपियों को जमानत भी दे दी। बताया ये भी जाता है कि धनीराम मित्तल ने फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ केस की खुद ही सुनवाई की और खुद को बरी भी कर दिया।
इससे पहले कि अधिकारी समझ पाते कि क्या हो रहा है, मित्तल पहले ही भाग चुका था। इसके बाद जिन अपराधियों को उसने रिहा किया या जमानत दी थी, उन्हें फिर से खोजा गया और जेल में डाल दिया गया। 'Super Natwarlal' Dhaniram Mittal
स्टेशन मास्टर बना
Dhaniram Mittal इतना शातिर था कि उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेलवे में नौकरी भी हासिल कर ली थी। नौकरी भी कोई छोटी-मोटी नहीं, बल्कि सीधे रेलवे मास्टर की। 6 साल तक वर्ष 1968 से 74 के बीच वह देश के कई अहम रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर काम किया।