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मुख्यमंत्री ने डीसी साहिल गुप्ता को किया सम्मानित

 

भिवानी।  

नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा जिला में चुने गए आकांक्षा ब्लॉक बहल में सॉयल हेल्थ जांच के निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक कार्ड बनाने पर शुक्रवार को चंडीगढ़ मुख्यालय पर आयोजित प्रदेश स्तरीय संपूर्णता अभियान सम्मान समारोह में डीसी साहिल गुप्ता को प्रदेश के मुख्यमत्री नायब सिंह सैनी ने अपने हाथों से सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि नीति आयोग द्वारा देशभर के ऐसे ब्लॉक चयन किया गया था, जिसमें कृषि विभाग, चिकित्सा और शिक्षा विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जाने थे।

इनके लिए बाकायदा टारगेट भी निर्धारित किए थे। निर्धारित टारगेट के तहत ही विभागों द्वारा कार्य करने थे। जिला भिवानी में बहल शामिल है।
इसमें कृषि विभाग द्वारा किए जाने वाले कार्यों में किसान के खेत से मिट्टïी लेकर तथा उसकी जांच कर सॉयल हेल्थ कार्ड बनाना भी शामिल था, जो किसान की उपज बढाने में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख उद्देश्य में शामिल है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने सॉयल हेल्थ कार्ड के न केवल लक्ष्य को हासिल किया बल्कि उससे अधिक कार्य किया।
इसी चलते मुख्यमंत्री श्री सैनी ने राज्य स्तरीय कार्यक्रम में डीसी श्री गुप्ता को सम्मानित किया है। डीसी ने इस सम्मान का श्रेय कृषि विभाग के सभी संबंधित अधिकारियों की कड़ी मेेहनत और टीम वर्क को दिया है। उन्होंने कहा कि यह अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए एक प्रेरणा है।
-निर्धारित लक्ष्य से अधिक किया कार्य
कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. विनोद फौगाट ने जानकारी देते हुए बताया कि बहल ख्ंाड में दो हजार सॉयल हेल्थ कार्ड बनाने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें लक्ष्य को हासिल करते हुए 3036 कार्ड बनाए हैं। सभी कार्ड संबंधित किसानों को वितरित कर दिए गए हैं।
-सॉयल हेल्थ कार्ड से किसान बढ़ा सकता है अपनी पैदावार
सॉयल हेल्थ कार्ड किसान की उपज बढाने में बहुत ही कारगर है। इसमें किसान के खेल से एक एकड़ में से पांच-छह  जगहों से करीब 15 सेंटीमेटर गहराई से खुरपी या कस्सी की सहायता से मिट्टïी के नमूने लेने होते हैं। फिर उस मिट्टïी की लैब में जांच की जाती है कि मिट्टïी में कौन से पोषक तत्व हैं और किस फसल के लिए कारगर हैं।

इससे मिट्टïी में पौषक तत्वों की सही जानकारी मिल जाती है। यदि किसी पोषक तत्व की कमी है तो खेत में पोषक तत्व युक्त खाद का प्रयोग किया जाता है। ऐसे करने में किसान की लागत भी कम होती है और पैदावार भी अधिक होती है। मिट्टïी की जांच सरकार द्वारा नि:शुल्क की जाती है।