पागल गौवंश व अन्य जानवरों का उचित रखरखाव ना करने के खिलाफ गौरक्षा दल भिवानी ने दिया धरना
भिवानी:
भिवानी शहर में इन दिनों बढ़ रहे पागल गौवंश व अन्य जानवरों ने भिवानी नगर परिषद प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है।
नागरिकों द्वारा पागल गौवंश व अन्य जानवरों के उपचार के लिए जब नगर परिषद प्रशासन को अवगत करवाया जाता है तो या तो नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी फोन नहीं उठाते और अगर फोन उठा लेते हैं तो अपनी ड्यूटी से पल्ला झाड़ते हुए इस कार्य को गौरक्षा दल भिवानी को अवगत करवाने की बात कहते है। और अगर किसी तरह उन पर दबाव बनाया जाता है तो नगर परिषद के कर्मचारी हां भरने के बावजूद मौके पर नहीं पहुंचते जिसकी वजह से ईलाज के अभाव में पागल गौवंश व अन्य जानवर रोड पर ही दम तोड़ देते है।
पिछले एक माह के दौरान शहर में 15 से 20 मामले ऐसे आए है, जहां नगर परिषद की लापरवाही के कारण पागल गौवंश व अन्य जानवरों को अपनी जान रोड पर ही गंवानी पड़ी।
इसी के विरोध में गौरक्षा दल भिवानी के सदस्यों ने प्रधान संजय परमार के नेतृत्व में रेबीज से संक्रमित मृत जानवरों को लेकर वीरवार को स्थानीय लघु सचिवालय के समक्ष धरना दिया तथा लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान जिला परिषद के सीईओ अजय चौपड़ा पहुंचे तथा उन्होंने नगर परिषद के सीईओ गुलजार मलिक से बातचीत की तथा मलिक ने सफाई निरीक्षक विकास देशवाल को धरना स्थल पर भेजा। जिसके बाद सफाई निरीक्षक ने धरनारत्त गौरक्षकों की सभी जायज मांगों को मानते हुए इस विषय में ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया।
इस मौके पर गौरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार ने बताया कि स्थानीय रूद्रा कॉलोनी में एक घर में पागल कुत्ते के घुसने की सूचना परिवार द्वारा स्थानीय नगर पार्षद को फोन करके दी गई, लेकिन उन्हे जवाब मिला कि यह काम उनका नहीं, बल्कि गौ रक्षा दल का है।
बाद में दबाव बनाने पर नगर परिषद के कर्मचारी गए और उस कुत्ते को पकडक़र दूसरे मोहल्ले के अंदर छोडक़र आ गए। यही नहीं कल सैक्टर-13 में एक बछड़ा व एक गाय पागल होने की सूचना नागरिकों ने डायल-112 व उपायुक्त कैंप ऑफिस के माध्यम से नगर परिषद प्रशासन को दी थी, लेकिन हद की बात यह थी कि सूचना मिलने के बाद भी नगर परिषद से कोई कर्मचारी वहां नहीं पहुंचा।संजय परमार ने बताया कि भिवानी जिला प्रशासन द्वारा नगर परिषद को 5 लाख रूपये की ग्रांट दी गई है, ताकि वे रेबीज संक्रमित जानवरों को रखने के लिए नंदीशाला में अलग से शैड बना सकें, लेकिन नगर परिषद द्वारा अभी तक वो कार्य भी नहीं किया गया।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि चाहे कोई जानवर चोट ग्रस्त हो या फिर पागल हो,यह सारा काम नगर परिषद का है, स्थानीय प्रशासन का है, लेकिन वे सिर्फ अपनी तनख्वाह ले रहे हैं। यह उचित नहीं है। परमार ने साफ तौर पर कहा कि पशुओं को पकडऩे और उनके इलाज की समुचित व्यवस्था करना नगर परिषद का प्राथमिक दायित्व है, जिसके लिए उनके पास अमला और बजट दोनों है।
उन्होंने कहा कि वे पहले भी कई बार धरना देकर नप प्रशासन की लापरवाही उजागर कर चुके है, लेकिन उन्हे हर बार आश्वासन देकर टरका दिया जाता है, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं होगा। जब तक प्रशासन पागल गौवंश व अन्य जानवरों की उपचार व सुरक्षा की दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं होगा, वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे।a