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 पॉल्यूशन कंट्रोल इंजीनियर सस्पेंड, भेजी जा रही थी फर्जी रिपोर्ट 

 

सोनीपत राठधाना रोड एसटीपी मामले में एक अधिकारी को सस्पेंड किया गया है। एसटीपी से बिना शोधित गंदा व केमिकल युक्त पानी पिछले कई सालों से ड्रेन-6 में डाला जा रहा था। इस मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है।

अब राज्य स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा रही है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की है। मामले में लापरवाही बरतने पर सोनीपत क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण सोनीपत में कार्यरत सहायक पर्यावरण अभियंता रविंद्र यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

बोर्ड की ओर से पंचकूला मुख्यालय से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय पंचकूला रहेगा। 

गंदा पानी ट्रीट किए बिना ही नाले में छोड़ा जा रहा था, जिससे पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा भी मामले में हस्तक्षेप किया गया था। संबंधित अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

सूत्रों के अनुसार सोनीपत के अधिकारी सरकार और पंचकुला प्रशासन को गुमराह कर रहे थे। सोनीपत से पिछले 7 महीनों से लगातार एसटीपी के सैंपल और रिपोर्ट भेजी जाती रही है। जिसमें लिख कर भेजा गया कि STP सही काम कर रहा है।

जबकि वास्तविकता यह थी कि 30 एम एलडी की क्षमता वाले एसटीपी में 40 से 45 से एम एलडी पानी आ रहा था। बाकी 10 से 15 एमएलडी पानी को बाईपास के माध्यम से बिना ट्रीट किए ड्रेन नंबर- 6 में डाल रहे थे। जब यह सोनीपत के पॉल्यूशन कंट्रोल असिस्टेंट एनवायरमेंट इंजीनियर रविन्द्र यादव से पंचकुला विभाग अधिकारियों द्वारा पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि पिछले काफी समय से क्षमता से ज्यादा पानी आ रहा है।

वही मामले को लेकर चीफ सैक्रेटरी द्वारा असिस्टेंट एन्वायरमेंटल इंजीनियर रविन्द्र यादव से नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने का कारण पूछे जाने पर वह संतोषजनक जवाब दे नहीं पाएं। 10 सालों से चल रहे एसटीपी को लेकर लापरवाही पर सवाल खड़े किए गए हैं।

जहां सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद यह लापरवाही की गई है। उनसे जवाब तलब किया गया है कि समय रहते हुए एसटीपी की क्षमता क्यों नहीं बढ़ाई गई। 

जानकारी के मुताबिक सोनीपत का पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग के इंजीनियर लगातार अलग-अलग मीटिंग में पॉजिटिव रिपोर्ट पेश करते रहे। पिछले 4 साल से प्रशासन गुमराह कर रहा था कि हर साल 5 एम एलडी की क्षमता बढ़ा दी जाएगी। लेकिन केवल दावों में सिमट कर रह गई।

मामले में ये भी खुलासा हुआ है कि पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग के इंजीनियर रविन्द्र यादव ने नगर निगम की लापरवाही को दबाने का कार्य किया है। जबकि नगर निगम की इस लापरवाही को लेकर कार्रवाई की जानी चाहिए थी। मिली जानकारी के मुताबिक हर महीने भेजी जाने वाली रिपोर्ट में जानकारी को छुपाया जाता था।