जब चेतोगे तभी सवेरा हो जाएगा- कंवर साहेब
भिवानी ।
दिन आते है जाते हैं।परिवर्तन प्रकृति का नियम है लेकिन जो बीत गया वो सीख भी देता है।बीते हुए से सीखो इसलिए चिंता नहीं चिंतन करो। जब चेतोगे तभी सवेरा हो जाएगा।
हम हर काम तो योजना बना कर करते गईं लेकिन भक्ति की कोई योजना नहीं।इस नए साल में ये योजना बनाओ की इतना समय जो बिना भक्ति के बीता है अब आने वाले समय में इसका सदुपयोग करेंगे।
यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने नववर्ष पर होने वाले सत्संग की पूर्व संध्या पर सेवा कार्य हेतु एकत्रित हुए सेवादारों को फरमाया।हुजूर कंवर साहेब जी ने कहा कि संत महात्मा भी कहते हैं कि जो बीत गया सो बीत गया आगे की सुध लो क्यूंकि जो गुजर गया वो दुबारा नहीं आता।
चाहे मुख से निकली बात हो या हम से हुआ कर्म।इंसान के जीवन में समय का गहरा संबंध है।जैसे जैसे समय बढ़ता जाता है इंसान की उम्र घटती जाती है।हुजूर कँवर साहेब ने बताया कि इंसान सुखी जीवन जीना चाहता है और वो सुख संसार की बातों में खीजता है।जबकि सुख संसार से विरक्ति में है।
भक्ति चाहते तो जगत से उदास रहो।भक्ति वही कर सकता है जो जीते जी मर गया हो।हुजूर महाराज जी ने सेवादारों को बधाई देते हुए कहा कि सेवकाई सबसे बड़ी चीज है और सेवक का दर्जा भी सबसे ऊंचा दर्जा है।स्वयं श्री राम चंद्र जी ने काक भासुंडी को सेवकाई के महत्व को बताते हुए कहा है कि वैसे तो मुझे सब जीव प्यारे हैं लेकिन इन जीवों में मुझे इंसान प्यारे हैं।इंसानों में ज्ञानी ज्ञानियों में विज्ञानी विज्ञानियों में योगी और योगियों में भी जो सेवक हैं वो मुझे सर्वोत्म प्यारे हैं।सेवा से बढ़कर मेवा नहीं है।
उन्होंने सेवा के नियम समझाते हुए फ़रमाया कि सेवा भक्ति का मूल है लेकिन सेवा के कुछ नियम है।पहला नियम है निष्काम भाव।स्वार्थ की सेवा सेवा नहीं है बल्की कामना है।सेवा का दूसरा नियम है की सेवा का अहंकार नहीं होना चाहिए।सेवा मिलने को परमात्मा की विशेष कृपा मानो।तीसरा नियम यह है की सेवा हित चित से करनी चाहिए ।सेवा आपके इष्ट की मूरत है।सेवा ऐसे करो मानो आपका इष्ट आपके सामने हो।गुरु महाराज जी ने कहा की एक सच्चा गुरु भी वही है जो पहले अच्छा और सच्चा सेवक होगा।
अपनी खुदी को इतना बुलंद करो कि लोग स्वतः आपके बारे में बखान करना शुरू कर देंगे।उन्होंने कहा कि जैसे भूमि में बीज डाले बिना फसल नहीं होगी वैसे ही बिना सेवा के भक्ति भी संभव नहीं है।उन्होंने कहा की सेवा में कपट और चतुराई नहीं चलती।हुजूर महाराज जी ने कहा कि कल के सत्संग की सारी जिम्मेवारी आप की है इसलिए सचेत रहो।सेवादार को ना भय होता है ना भरम।सेवादार के पास तो केवल समर्पण होता है।समर्पण तन मन धन का।