चंडीगढ़।
जूनियर महिला कोच के यौन शोषण के आरोपों से घिरे हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में संदीप सिंह की ब्रेन मैपिंग कराने के लिए अर्जी दी है। अब इस मामले में 31 मार्च को सुनवाई की जाएगी। संदीप सिंह के खिलाफ पंचकूला स्टेडियम में तैनात जूनियर महिला कोच ने 30 दिसंबर को यौन उत्पीड़न किए जाने के मामले में चंडीगढ़ पुलिस में केस दर्ज कराया है।
ब्रेन मैपिंग एक न्यूरोसाइंस तकनीक है, जिसके के जरिए ब्रेन में मौजूद तरंगों की जांच की जाती है। इस जांच से यह समझा जाता है कि आरोपी ने भयानक अपराध किया है, उसे करने के लिए उसका दिमाग किस हद तक सक्षम है। यह एक नॉन-इंवेजिव प्रोसेस है, जिसके जरिए शरीर में किसी तरह का कोई काटना या इंजेक्शन नहीं लगाया जाता। ब्रेन मैपिंग के कारण इंसान को किसी तरह का शारीरिक या मानसिक नुकसान नहीं पहुंचता।
ब्रेन मैपिंग टेस्ट के जरिए दिमाग में उठने वाली तरंगों की स्टडी की जाती है, इसके लिए जिसका ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया जाता है, उस व्यक्ति के सिर से सेंसर्स को कनेक्ट किया जाता है। उसके दिमाग में पता लगाने के लिए उसके सिर पर हेड कैप्चर लगाया जाता है। उस व्यक्ति के सामने क्राइम से जुड़े सीन को सिस्टम पर दिखाया और सुनाया जाता है। ब्रेन मैपिंग में नार्को टेस्ट की तरह कोई दवा नहीं दी जाती है।
टेस्ट लैब में कुर्सी पर बैठाकर इस खास तकनीक से सच और झूठ का पता लगाया जाता है। जिस मशीन को सिर के सेंसर्स से कनेक्ट किया जाता है, उसी मशीन पर आ रही तरंगों को देखकर यह पता लगाया जाता है कि वह कितना सच या झूठ बोल रहा है। जब भी किसी आरोपी को लेकर लैब जाया जाता है तो इसके पहले खास तैयारी करनी होती है।
लैब में सबसे पहले FSL एक्सपर्ट उस केस स्टडी को देखते हैं और फिर सवालों की लिस्ट तैयार की जाती है। इसके बाद शुरू होता है आरोपी का इंटरव्यू। कई बार एक ब्रेन मैपिंग करने में 7 से 8 दिन का वक्त लग जाता है।
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