Shardiya Navratri: कब से शुरू होंगे शारदीय नवरात्रि? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Shardiya Navratri: भारत देश में त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है। इसी को लेकर हर पर्व का इंतजार करते हैं। इस कड़ी में हर वर्ष आश्विन माह में शारदीय नवरात्र के पर्व को उत्साह के साथ के मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर मां दुर्गा के मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए शारदीय नवरात्र के पर्व को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
ज्योतिषचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और उपवास करने से साधक को जिंदगी में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसी के साथ ही मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। आपको बता दें रहे हैं कि कब से शुरू हो रहे हैं शारदीय नवरात्र।
ज्योतिषचार्य ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 22 सितंबर को रात्रि 01 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 23 सितंबर को रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे।
मुहूर्त
शारदीय नवरात्र में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। इन दोनों ही मुहूर्त में घटस्थापना कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
नियम
ज्योषिचार्य ने बताया कि शारदीय नवरात्र के दिन प्रथम दिन सुबह स्नान करने के बाद विधिपूर्वक कलश की स्थापना करें और देसी जलाकर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करें। उपवास का संकल्प लें।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक घटस्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। एक बात का खास ध्यान रखें कि घटस्थापना के लिए तांबे, चांदी या फिर मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। घटस्थापना करने के बाद गरीब लोगों या मंदिर में श्रद्धा अनुसार दान जरूर करना चाहिए।
न करें ये गलतियां
घटस्थापना करते वक्तके किसी के बारे में गलत न सोचें।
किसी से वाद-विवाद यानि झगड़ा न करें।
भूलकर भी काले रंग के कपड़ें न पहनें।
घर और मंदिर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
सावन माह के शुरू होने से पहले ही कर लें यह कार्य, फिर अगले एक माह तक रोजाना बरसेगी बाबा भोले नाथ महादेव की कृपा !
Disclaimer: इस समाचार यानी लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।

