वनवासी वीर सपूतों ने देश धर्म एवं संस्कृति के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया: डाल चंद

 
वनवासी वीर सपूतों ने देश धर्म एवं संस्कृति के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया: डाल चंद

भिवानी।

चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो दीप्ति धर्माणी की अध्यक्षता एवं कुलसचिव डॉ ऋतु सिंह के मार्गदर्शन एवं प्रो सोनू मदान के संयोजन में समाज कार्य विभाग एवं राजनीति विज्ञान विभाग एवं वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में आदिवासी गौरव : "भारत के स्वतंत्रता संग्राम के मूक योद्धा" विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो दीप्ति धर्माणी ने कहा कि भारत वर्ष के दूर दराज के बड़े जनजातीय क्षेत्रों में कर्म करने तथा हमें इनसे जोड़ने के लिए वनवासी कल्याण आश्रम का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करती हूं। वनवासी क्षेत्र के जनजातीय बच्चों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने में वनवासी कल्याण आश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है । हमारे जीवन में कला की जो विधाएं हैं वो बहुत महत्वपूर्ण हैं।आप जो कविता मनन कर लेते हैं वह आपकी पर्सनेलिटी का हिस्सा बन जाती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए स्कूली शिक्षा के दौरान एक कार्यक्रम में नागा डांस करने और इस संस्कृति को समझने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वे साहित्य से जुड़ी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम जनजातीय साहित्य पर पाठ्यक्रम एवं पुस्तक निकाले ताकि विश्विविद्यालय में जनजातीय साहित्य पर कोर्स शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में यूथ फेस्टिवल में फॉक डांस में जनजातीय नृत्य और नागा डांस को शामिल किया जाएगा। विश्वविद्यालय में वनवासी जनजातीय को जोड़ने के लिए डिपार्टमेंट परफॉर्मिंग आर्ट विभाग खोला जाएगा।
वनवासी कल्याण आश्रम के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के संगठन मंत्री डाल चंद ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि देश धर्म और संस्कृति को बचाने मे वनवासी वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया और देश के इतिहास में उनका जिक्र तक शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि मानगढ़ की पहाड़ियों मे अंग्रेजों के खिलाफ गुरु अंगद देव की सभा में 1500 से अधिक लोगों ने अपनी शहादत दी। भगवान बिरसा मुंडा ने सशस्त्र संघर्ष के लिए समाज को तैयार किया। वनवासी वीर अपने प्राणों की परवाह किए बिना स्वयं की प्रेरणा से देश धर्म और संस्कृति को बचाने के लड़े और आध्यात्मिक जागरण किया।
उन्होंने आतंकवाद की निंदा करते हुए कहा कि 10 प्रतिशत आतंकवाद की घटनाएं 90 प्रतिशत को प्रभावित करती हैं। पूर्वोतर के सात राज्यों में 120 बोलियां बोली जाती हैं जिनमें से एक की भी लिपि नहीं है और उन्हें रोमन और अंग्रेजी सिखाई गई। भारतीयता का भाव लेकर उनके बीच कोई गया नही था । आदिवासी हमारी पूजा पद्धति और संस्कृति को नहीं जानते हैं।
वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासी क्षेत्रों के जनजातीय बच्चों को संपर्क के आधार पर यहां पढ़ाकर उन्हीं क्षेत्रों में भेजता है ताकि वहां के लोगों को ये भारतीय धर्म, संस्कृति और सभ्यता से आत्मसात करवा सकें।
 वनवासी कल्याण आश्रम वनवासी समुदाय के विभिन्न वर्गों के कल्याण हेतु कटिबद्ध है और अलग अलग तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को जनजातीय वीरों के योगदान से अवगत कराने में प्रयासरत है।
 वनवासी कल्याण आश्रम की तरफ से हरियाणा प्रांत में विश्वविद्यालय और छात्र वर्ग प्रमुख कुनाल भारद्वाज,  वनवासी कल्याण नगर कार्य मंत्री जयभगवान, पूर्व प्राचार्य जगमोहन ने भी सेमिनार में अलग- अलग विषयों पर अपने विचार सांझा किए। सामाजिक विज्ञान विभाग की अधिष्ठाता व सेमिनार निदेशिका सोनू मदान ने सेमिनार की भूमिका सभी के समक्ष पेश की। डॉ. स्नेहलता शर्मा ने मंच संचालक के तौर पर भूमिका निभाई । कार्यक्रम के अंत में  समाज कार्य विभाग की प्रभारी व सेमिनार सचिव डॉ. मोनिका मिगलानी ने सभी अतिथियों और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर वनवासी कल्याण आश्रम के छात्रों ने नागा डांस सहित अनेक देशभक्ति गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर सबको मंत्र मुग्ध किया।