भारत में बूस्टर डोज अभियान की शुरुआत 10 जनवरी से हो चुकी है। फिलहाल ये हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को लगाई जा रही है। दुनिया के और भी देशों में वयस्कों और बच्चों दोनों को ही कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की तीसरी डोज लग रही है। इसी बीच ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में बताया है कि बूस्टर डोज कितने दिन तक हमें कोरोना से सुरक्षा देने में कारगर है।
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की मानें तो बूस्टर डोज लगने के बाद हमें कोरोना संक्रमण से 6 महीने से भी कम समय तक सुरक्षा मिलती है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन की तीसरी खुराक से भविष्य में गंभीर बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।
3 महीने बाद ही बूस्टर डोज का असर हो जाता है आधा
रिसर्च के नतीजे कहते हैं कि फाइजर कंपनी का बूस्टर शॉट लगने के तुरंत बाद कोरोना से बहुत अच्छे लेवल पर सुरक्षा मिलती है। पर केवल दो हफ्ते बाद ही ये सुरक्षा घटकर 70% पर आ जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बूस्टर डोज के असर में बहुत तेजी से गिरावट देखने को मिलती है। केवल 3 महीने बाद ही इसका असर आधा हो जाता है। वहीं 4 महीने बाद बूस्टर डोज कोरोना संक्रमण के खिलाफ मात्र 40% ही कारगर होता है।
बूस्टर डोज लेने के बाद कोरोना से गंभीर बीमारियां होने का खतरा कम
रिसर्च में पाया गया है कि बूस्टर डोज लेने के बाद मरीज को कोरोना संक्रमण भले ही हो जाए, लेकिन वह गंभीर रूप से बीमार नहीं होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, फाइजर वैक्सीन की तीसरी डोज लेने के दो हफ्ते बाद भी हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा 95% कम होता है। यहां तक कि 4 महीने बाद भी खतरा 80% कम ही रहता है।
वैज्ञानिकों ने मॉडर्ना कंपनी के बूस्टर डोज पर भी रिसर्च शुरू कर दी है। प्रारंभिक नतीजे फाइजर वैक्सीन पर हुई रिसर्च जैसे ही हैं।
नए वैरिएंट्स के सामने बूस्टर डोज कमजोर पड़ रही, ऐसा क्यों?
टोरंटो यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट जेनिफर गोम्मरमैन कहती हैं कि मौजूदा वैक्सीन्स और उनके बूस्टर डोज कोरोना वायरस के मूल रूप (SARS-CoV-2) से लड़ने के लिए तैयार किए गए थे। फिलहाल दुनिया भर में तबाही मचा रहा ओमिक्रॉन वैरिएंट इससे अलग है। इसमें अब तक 50 से भी ज्यादा म्यूटेशन्स हो चुके हैं, जिससे वायरस के गुण काफी बदल गए हैं। बूस्टर डोज भी इस वैरिएंट के सामने पूरी तरह असरदार नहीं है।
गोम्मरमैन के अनुसार, बूस्टर डोज लेने के कुछ समय बाद भले ही शरीर में एंटीबॉडीज कम होती जाती हैं, लेकिन ये हमें गंभीर बीमारियों से जरूर बचाती है। इसका कारण- बूस्टर डोज से न केवल एंटीबॉडीज, बल्कि पूरा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इससे हम दूसरी बीमारियों की चपेट में आने से भी बच जाते हैं।
क्या बार-बार बूस्टर डोज लेना जरूरी है?
एरिजोना यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट दीप्ता भट्टाचार्य कहते हैं कि हर 2 से 3 महीने में बूस्टर डोज लगवाना एक अच्छी स्ट्रैटेजी नहीं है। अगर हमें हमेशा के लिए कोरोना से छुटकारा पाना है, तो हमारा उद्देश्य इन्फेक्शन पर रोक लगाने के बजाय लोगों को गंभीर बीमारियों से बचाना होना चाहिए। भट्टाचार्य के अनुसार, जल्द ही ऐसा समय आ सकता है जब सरकारें हमें एक साल में एक बार बूस्टर डोज लेने की सलाह देंगी।
भारत में बन रही वैरिएंट स्पेसिफिक वैक्सीन
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर पहले से मौजूद कोविड-19 वैक्सीन के असर को लेकर भले ही एक्सपर्ट्स में अलग-अलग तरह की राय है, लेकिन अब खास तौर पर इसी वैरिएंट को निशाना बनाने वाली वैक्सीन भी जल्द आ रही है। पुणे की जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने इस नई तरह की वैक्सीन को तैयार किया है और जल्द ही इसके ह्यूमन ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं।
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