बच्चा गोद लेने के लिए सरकारी कानून की पालना जरूरी: उपायुक्त महावीर कौशिक

भिवानी।
उपायुक्त महावीर कौशिक ने कहा है कि बच्चा गोद लेने के लिए सरकारी कानून की पालना करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए प्रक्रिया निर्धारित की गई है और प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत की बच्चों को गोद दिया जा सकता है।
उपायुक्त महावीर कौशिक ने स्पष्ट करते हुए बताया है कि बच्चा गोद लेने में किसी बिचौलिए या दलाल की कोई भूमिका नहीं है। ऐसे लोग गैर कानूनी तरीके से बच्चा गोद लेने के लिए किसी को भी बहला सकते हैं। उन्होंने कहा कि गोद लेने के लिए सीधे किसी व्यक्ति, गैर कानूनी संस्था, मेटरनिटी होम अस्पताल अथवा नर्सिंग होम आदि से संपर्क ना करें।
उन्होंने बताया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 80 व 81 के अनुसार अनाधिकृत स्रोत व गैरकानूनी तरीके से बच्चा गोद लेने पर आपके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बच्चा गोद लेने के लिए वेबसाइट पर गलत दस्तावेज अपलोड ना करें अन्यथा ऐसा करने पर पंजीकरण को रद्द किया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कारा वेबसाइट के दिशा निर्देशों में निर्दिष्ट शुल्क के अलावा अन्य कोई भुगतान नहीं किया जाता है।
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि अनाथ व लावारिस, अंतर परिवार तथा सौतेली माता या पिता द्वारा दत्तक ग्रहण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त दत्तक एजेंसी के जरिए ही बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बच्चा गोद लेने से पूर्व किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) लेने के लिए वेबसाइट https://cara.wcd.gov.in/ पर दिए दिशा निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। इसके अतिरिक्त अन्य कानून जैसे हिंदू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 आदि के तहत बच्चा गोद लेने के लिए तहसील कार्यालय से संपर्क करना होगा।
बच्चा गोद लेने के पात्रता मानदण्ड
उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इन मानदंडों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि ऐसे दंपति को बच्चों का दत्तक ग्रहण करने की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक उनके वैज्ञानिक संबंध कम से कम 2 वर्ष तक रहे हो। बिना विवाह के साथ रहने वाले दंपति को बच्चों के दत्तक ग्रहण की पात्रता नहीं है। बच्चा गोद लेने के लिए माता-पिता दोनों की रजामंदी आवश्यक है। एक अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।
दत्तक ग्रहण करने वाले संभावित माता-पिता के पास बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने जरूरी हैं। दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए और उन्हें कोई संक्रमण या गंभीर रोग अथवा मानसिक व शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं होनी चाहिए जो उसे बच्चे की देखभाल से रोक सके। दूसरे बच्चे के दत्तक ग्रहण की अनुमति तभी दी जाती है जब प्रथम बच्चों के लिए कानूनी रूप दत्तक से दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया हो। परंतु यह भाई बहनों के मामले में लागू नहीं है। एक अविवाहित या अकेले पुरुष को बालिका के दत्तक ग्रहण की अनुमति नहीं है। दो या दो से अधिक बच्चों के अभिभावक बच्चा गोद नहीं ले सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज
उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेजों का होना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि आवेदन के साथ दस्तावेजों की तीन-तीन प्रतियां संलग्न करनी होगी। इन दस्तावेजों में पहचान प्रमाण पत्र जैसे मतदाता कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस, भारत का निवासी दर्शाने वाला प्रमाण जो 365 दिनों से अधिक हो, विवाह प्रमाण पत्र, परिवार की तस्वीर (दत्तक ग्रहण करने वाले परिवार की पोस्टकार्ड साइज की हाल ही में ली गई तस्वीरे) पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र किन्हीं दो दोस्तों का प्रमाण पत्र जिसमें यह लिखा हो कि दंपति बच्चों की सही देखभाल करेंगे, आय प्रमाण पत्र तथा पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट शामिल है।