Haryana: सिंधु जल समझौता रद्द होने से हरियाणा को हो सकता है फायदा, इस नदी का मिल सकता है पानी
Haryana: 22 अप्रैल का दिन हमेशा दुख दर्द के लिए याद रहेगा। पहलगाव में आंतकी हमला किया गया। इसमें 26 भारत और विदेशी पर्यटकों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने कड़ा रूख अपनाया। इंडिया ने पाक के साथ 65 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। इसका कारण पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बताया गया है।
सिंधु जल समझौते को रद्द करते हुए भारत द्वारा पाक का पानी बंद करने के निर्णय के बाद सतलुज, रावी, ब्यास, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी हरियाणा लाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
हिमाचल प्रद्देश के शिमला और नाहन के रास्ते इस पानी को हरियाणा के यमुनानगर से आरंभ होकर बहने वाली सरस्वती नदी में लेकर आने की स्कीम बनाई जा रही है। इसमें शुरूआत के अंदर 50 से 100 क्यूसिक तक पानी लाने की उम्मीद तलाश की जा रही है। इसके बाद तो परियोजना सिरे चढ़ी तो पानी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है।
इससे हरियाणा को अपेक्षित पानी मिलेगा और उसे अपने हिस्से के सतलुज के पानी के लिए पंजाब की तरफ भी नहीं देखना पड़ेगा। आपको बता दें कि सिंधु जल समझौते के अनुसार 3 पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण इंडिया तथा 3 पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाक के पास है।
हरियाणा सरकार के सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने यह पानी सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री तक पहुंचाने के लिए इसरो व रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों के साथ सोमवार को जयपुर में बैठक निर्धारित की है। जयपुर स्थित बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में यह बैठक होने जा रही है।
यमुनानगर के आदिबद्री से लेकर बिलासपुर, कुरुक्षेत्र, कैथल, पंजाब का नौ किलोमीटर का एरिया, फतेहाबाद और सिरसा को होते हुए ओटू झील कर लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सरस्वती नदी में पानी बह रहा है।
हालांकि इस पानी का बहाव काफी कम है, लेकिन सतलुज समेत बाकी सभी नदियों का पानी विभिन्न स्रोत के माध्यम से जब सरस्वती में पहुंचाने में सफलता मिलेगी तो पानी का बहाव बढ़ जाएगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि सरस्वती नदी की धार्मिक महत्ता भी बढ़ेगी।
किसानों को होगा फायदा
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार के सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने यह पानी सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री तक पहुंचाने के लिए इसरो व रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों के साथ आज यानि 28 अप्रैल को जयपुर में मीटिंग की जा रही है। जयपुर स्थित बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में यह मीटिंग है।
यमुनानगर के आदिबद्री से लेकर बिलासपुर, हरियाणा प्रद्देश में कुरुक्षेत्र, कैथल, पंजाब का 9 किलोमीटर का एरिया, फतेहाबाद और सिरसा को होते हुए ओटू झील कर करीबन 400 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सरस्वती नदी में पानी बह रहा है।
हालांकि इस पानी का बहाव काफी कम है, लेकिन सतलुज समेत बाकी सभी नदियों का पानी विभिन्न स्रोत के माध्यम से जब सरस्वती में पहुंचाने में कामयाबी मिलेगी तो पानी का बहाव बढ़ेगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि सरस्वती नदी की धार्मिक महत्ता भी बढ़ेगी।

