Haryana: हरियाणा में गोवंश संरक्षण को लेकर सख्त हुई सरकार, 4 जिलों में बने फास्ट ट्रैक कोर्ट

Haryana: हरियाणा सरकार गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन को लेकर सख्त हो गई है। सरकार ने 2015 के 'हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन' कानून के तहत दर्ज होने वाले केस की सुनवाई को लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट नॉमिनेट कर दिए दिए हैं। इको लेकर गृह विभाग ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
इस नोटिफिकेशन में लिखा है कि 'हरियाणा गवर्नर, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सहमति से, हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम, 2015 के तहत अपराधों की त्वरित सुनवाई (फास्ट ट्रैक) के लिए नूंह, पलवल, अंबाला और हिसार में रेगुलर कोर्ट चलाने वाले वरिष्ठ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और सिविल न्यायाधीश की अदालतों को उनके निर्दिष्ट क्षेत्राधिकार के भीतर विशेष अदालतों के रूप में नॉमिनेट किया जाता है।
किस जिले की कहां होगी सुनवाई
नूंह जिले में नूंह के अलावा चरखी दादरी, रेवाड़ी और भिवानी जिलों की सुनवाई होगी। इसके अलावा पलवल जिले में पलवल के अलावा फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, रोहतक, सोनीपत और पानीपत की सुनवाई होगी।
अंबाला में अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल, वहीं हिसार जिले की कोर्ट में हिसार के अलावा जींद, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिलों की सुनवाई की जाएगी।
गोवंश और गो संरक्षण के लिए हरियाणा में ये 5 कानून...
पहला: जो भी धारा 3 या 4 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या फिर उल्लंघन के लिए उकसाता है, तो वह कठोर कारावास से दंडनीय अपराध का दोषी होगा। इसकी सजा कम से कम 3 साल की होगी। वहीं दोषी को अधिकतम सजा 10 साल तक जेल हो सकती है। वहीं दोषी को 30 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक हो सकता है। जुर्माना नहीं जमा करने पर एक वर्ष तक का अतिरिक्त कारावास लगाया जा सकता है।
दूसरा: जो कोई धारा 5 का उल्लंघन करता है तो उसे 3 से 7 साल तक की जेल हो सकती है । वहीं 30 हजार से लेक 70 हजार रुपये तक जुर्माना लग सकता है। जुर्माने के भुगतान में चूक की स्थिति में जुर्माने के बदले में 1 साल तक का अतिरिक्त कारावास हो सकता है।
तीसरा: जो कोई चारा 8 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा उसे 3 से लेकर 5 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं 30 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। जुर्माने से भुगतान की चूक होने पर 1 साल का अतिरिक्त कारावास लगाया जा सकता है।
चौथा: धारा 13 के तहत दंडनीय अपराध के लिए परीक्षण में यह साबित करने का भार कि बंध की गई गाय धारा 4 को उपधारा (1) के खंड (ए) (ची) या (सी) में निर्दिष्ट वर्ग की थी, अभियुक्त पर होगा।
पांचवां:. दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का केंद्रीय अधिनियम 2) में निहित किसी भी बात के बावजूद, धारा 13 के तहत दंडनीय अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा।