Haryana: हरियाणा में कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला, अब मिलेंगे इतने रुपये

Haryana: हरियाणा से बड़ी खबर सामने आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने (Punjab and Haryana High Court) ने समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत के तहत नगर परिषद, जींद के कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने नगर परिषद कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के जितना वेतन देने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि वेतन में अंतर की राशि तीन महीने के भीतर कर्मचारियों को दी जाए।
जानें पूरा मामला? Haryana News
मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला उन कर्मचारियों से जुड़ा है, जिन्हें शुरू में नगर परिषद, जींद द्वारा नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें राज्य सरकार के तहत प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। इन कर्मचारियों ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन दिया जाए।
जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान कार्य करने के बावजूद उन्हें समान वेतन नहीं दिया जा रहा था। Haryana News कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार कर लिया और नगर परिषद के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन देने का आदेश जारी किया।
हुई थी सुनवाई
मिली जानकारी के अनुसार, इससे पहले, राम चंदर बनाम हरियाणा राज्य मामले में, हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने यह स्पष्ट किया था कि नगर परिषद के कर्मचारियों को दिए जाने वाले संशोधित वेतनमान की प्रभावी तिथि एक जनवरी 1994 होगी, न कि एक अप्रैल 1999। Haryana News
याचिका के दौरान, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि वेतन का अंतर (डिफरेंशियल अमाउंट) नगर परिषद द्वारा चुकाया जाना चाहिए, क्योंकि कर्मचारी शुरू में नगर परिषद द्वारा नियुक्त किए गए थे।
Haryana News जानकारी के मुताबिक, नगर परिषद ने दावा किया कि प्रतिनियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को वेतन राज्य सरकार से मिला था, इसलिए यह राशि राज्य सरकार द्वारा दी जानी चाहिए।
भुगतान करने का आदेश
मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को लेकर कोई विवाद नहीं है। अदालत ने यह निर्देश दिया कि जिस प्राधिकरण/विभाग ने संबंधित अवधि के दौरान वेतन का भुगतान किया था, वही वेतन में अंतर की राशि का भुगतान करेगा। Haryana News
जानकारी के मुताबिक, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस राशि पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं लगाया जाएगा। आदेश में कहा गया कि संबंधित प्राधिकरण तीन महीने के भीतर इस राशि का भुगतान सुनिश्चित करे। हाई कोर्ट के इस फैसले से अन्य विभागों में कार्यरत समान स्थिति वाले कर्मचारियों को भी बड़ी राहत मिल सकती है।