हरियाणा में मेडिकल स्टोरों पर NCB की रेड  

 
हरियाणा में मेडिकल स्टोरों पर NCB की रेड  

चंडीगढ़।

हरियाणा भर के केमिस्टों ने पंचकूला के कुछ थोक विक्रेताओं पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा की गई दवाईयों की जब्ती की कार्रवाई के विरोध में साइकोट्रोपिक और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की बिक्री और वितरण को रोकने का फैसला किया है। साथ ही इन दवाओं के सभी मौजूदा स्टॉक अगले सप्ताह डिस्ट्रीब्यूटर्स को वापस भी करेंगे।

इसके विरोध में एसोसिएशन की कार्यकारी परिषद 16 मार्च को कुरुक्षेत्र में बैठक करेगी, जिसमें आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। यह फैसला तब लिया गया है जब पंचकूला में पिछले तीन दिनों से चल रही एनसीबी छापेमारी के विरोध में सभी दवा दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही कार्रवाई

इस बीच, स्टेट ड्रग कंट्रोलर ऑफिस की तरफ से सरकार को इसकी सूचना दी गई है कि ये छापे कोर्ट के निर्देशानुसार मारे जा रहे हैं। अधिकारियों ने खुलासा किया है कि सीबीआई ने शुरू में इन दवाओं की बिक्री का ब्योरा मांगा था और बाद में एक गैर-लाइसेंस प्राप्त डीलर के पास इन दवाओं के होने का पता चलने पर एनसीबी को इसमें शामिल किया। छापों की स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में रखी जाएगी।

ब्यूरो की कार्रवाई अनुचित, हमारे पास वैध लाइसेंस

स्टेट केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मंजीत शर्मा ने आरोप लगाया कि लाइसेंस वाले केमिस्टों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि जिन लोगों के पास लाइसेंस नहीं है और वे दुकानें चला रहे हैं, और खुलेआम काम कर रहे हैं। जिनके पास वैध लाइसेंस हैं, उनके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है, जबकि उनके रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी भी नहीं है। उन्होंने ये भी दावा किया कि जीवन रक्षक एलोपैथिक दवाएं भी बिना किसी वैध कारण के ब्यूरो द्वारा जब्त की जा रही हैं।

हाईकोर्ट जता चुका नाराजगी

बिना पर्ची के बिकने वाली दवाईयों को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 दिन पहले नाराजगी जताई थी। हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को निर्देश दिया था कि इसके खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जाए, इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई की भी रिपोर्ट जमा कराई जाए।यह निर्देश तब दिए गए हैं, जब हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा दी गई अंतरिम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन से पाया कि प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही थीं और खुदरा विक्रेता तथा केमिस्ट इसे छिपाने के लिए फर्जी पर्चे बना रहे थे।