Haryana: हरियाणा में पैदल ही ED कार्यालय पहुंचे रॉबर्ट वाड्रा, जमीन घोटाले मामले को लेकर पूछताछ

Haryana: हरियाणा से बड़ी खबर सामने आ रही है। हरियाणा के गुरुग्राम जमीन घोटाला को लेकर आज, मंगलवार को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पैदल ही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) में आए। जहां वाड्रा से गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड घोटाले में पूछताछ की जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पूछताछ के लिए उन्हें द्वितीय समन भेजा था। आपको बता दें कि वाड्रा इससे पहले 8 अप्रैल को भेजे गए पहले समन पर पेश नहीं हुए थे। Haryana News
प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय जाते हुए वाड्रा ने कहा- "जब भी मैं लोगों की आवाज बुलंद करूंगा, यह लोग मुझे दबाएंगे और एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे। मैं हमेशा सभी प्रश्रों के जवाब देता हूं और देता रहूंगा।"
वहीं वाड्रा के प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय जाते हुए उनके साथ मौजूद समर्थकों ने जब जब मोदी डरता है, ईडी को आगे करता है के नारे लगाए। वाड्रा के प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर पहुंचने तक कांग्रेसी नारेबाजी करते रहे। Haryana News
2008 में हुआ जमीन का सौदा
आपको बता दें कि फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में करीबन 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी। उसी वर्ष, तत्कालीन हरियाणा के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दे दिया। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया, जिससे करीबन 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
2012 में, हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया था। अधिकारी खेमका ने दावा किया कि यह प्रक्रिया नियमों के खिलाफ थी। इसमें भ्रष्टाचार की आशंका थी। Haryana News
2018 में दर्ज की गई एफआईआर
साल 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, डीएलएफ, और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर एफआईआरक्र दर्ज की थी। जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में आईपीसी की धारा 420, 120, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद में आईपीसी की धारा 423 के तहत नए आरोप जोड़े गए थे।
हुड्डा पर ये आरोप
मिली जानकारी के अनुसार, जमीन की यह डील जब हुई, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने की परमिशन दे दी। आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ जाते हैं। Haryana News
जानकारी के मुताबिक, लाइसेंस मिलने के मुश्किल से 2 महीने बाद ही, जून 2008 में, डीएलएफ वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से यह जमीन 58 करोड़ में खरीदने को तैयार हो जाती है। यानी मुश्किल से 4 महीने में 700 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा वाड्रा की कंपनी को होता है। 2012 में हुड्डा सरकार कॉलोनी बनाने वाले लाइसेंस को DLF को ट्रांसफर कर देती है।
ED ने जांच शुरू की
मिली जानकारी के अनुसार, इसके बाद ईडी ने संदेह जताया कि इस सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग हुई, क्योंकि जमीन की कीमत कुछ ही महीनों में असामान्य रूप से बढ़ गई। इसके अलावा यह भी संदेह जताया कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज एक फर्जी कंपनी थी। उसे सौदे में भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया। Haryana News
जानकारी के मुताबिक, जमीन की खरीद से जुड़ा चेक कभी जमा नहीं किया गया। ईडी ने 2018 में हरियाणा पुलिस की FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। यह जांच स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय गतिविधियों और सौदे से प्राप्त आय पर केंद्रित है।
5 हजार करोड़ का फायदा
मिली जानकारी के अनुसार, ईडी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय लेनदेन, जमीन की खरीद-बिक्री, और DLF के साथ सौदे की जांच कर रही है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस सौदे से प्राप्त आय का उपयोग अवैध गतिविधियों में किया गया। Haryana News
जानकारी के मुताबिक, आरोप है कि DLF को इस सौदे में फायदा पहुंचाने के लिए हुड्डा सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया। इसमें वजीराबाद में DLF को 350 एकड़ जमीन आवंटन का भी जिक्र है, जिससे डीएलएफ को कथित तौर पर 5,000 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।