अंबाला।
नगर निगम, नगरपालिका व नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल करने वाले नुमाइंदे अब पार्षद शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। वे केवल अपने नाम के आगे पार्षद की जगह सदस्य शब्द का इस्तेमाल कर पाएंगे। अंबाला के डीसी विक्रम सिंह ने दायर याचिका के जवाब में निगम कमिश्नर को जरुरी आदेश जारी कर दिए हैं। एडवोकेट हेमंत कुमार की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। दरअसल एडवोकेट हेमंत ने 16 मार्च को डीसी विक्रम सिंह के अतिरिक्त अंबाला मंडल की आयुक्त और प्रदेश सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रशासनिक सचिव और निदेशक और राज्य निर्वाचन आयोग को अलग अलग पत्र भेजकर हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में स्थापित तीनों प्रकार की नगर निकायों ( नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं ) के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा उनके निवास स्थान एवं उनके वार्ड क्षेत्र में पड़ने वाली गलियों, मोहल्लों व चौराहों आदि में उनका नाम दर्शाने वाली नेमप्लेट, साइन बोर्ड व होर्डिंग तथा उनके पदनाम से बनाए जाने वाली रबड़ स्टांप में पार्षद ( काउंसलर ) शब्द का प्रयोग किए जाने पर आपत्ति जताई थी।
उनका कहना था कि राज्य में पार्षद शब्द का प्रयोग करना मौजूदा नगर निगम कानून, 1994 में, जो कि सभी नगर निगमों पर लागू होता है और हरियाणा नगर पालिका कानून, 1973 जो प्रदेश की सभी नगर परिषदों और नगर पालिकाओं पर लागू होता है का स्पष्ट उलंघन है। क्योंकि उक्त दोनों कानूनों में कहीं भी पार्षद ( काउंसलर) शब्द का उल्लेख ही नहीं है। उसके स्थान पर सदस्य शब्द का उल्लेख किया गया है। एडवोकेट हेमंत ने यह भी दलील दी कि इसी तरह हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 और हरियाणा नगर पालिका निर्वाचन नियमावली, 1978 के अंतर्गत सभी नगर निकायों के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाए जाते हैं। सभी नगर निकाय के वार्डों से स्थानीय मतदाताओं द्वारा प्रतिनिधियों को मतदान से चुनकर निर्वाचित किया जाता है जिसके बाद निर्वाचन आयोग द्वारा विजयी उम्मीदवारों की निर्वाचन नोटिफिकेशन्स जारी कर उनके नाम सरकारी गजट में अधिसूचित किया जाता है।
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