चंडीगढ़।
हरियाणा में पंचायतों के फंड को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि 75% फंड खर्च करने वाली पंचायतों को सरकार इन्सेंटिव देगी। ऐसी पंचायतों को 25% एक्स्ट्रा फंड दिया जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय किया है कि जो पंचायतें फंड खर्च करने में विफल रहती हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पंचायतों के फंड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से भी गाइडलाइन आई हैं, जिसमें सरकारी खजाने के फंड पर लेखा-जोखा रखने को कहा गया है।
हरियाणा में 44 पंचायतें ऐसी हैं, जिन्होंने सरकार द्वारा दी गई ग्रांट को ख़र्च ही नहीं किया है। इन पंचायतों के खिलाफ सरकार की ओर से संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी पुष्टि सूबे के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने की। उन्होंने कहा है कि सरकार अपनी तरफ से पंचायतों के विकास को लेकर कोई कमी नहीं छोड़ रही है। इसके बाद भी पंचायतें गांव के विकास पर ध्यान नहीं दे रही हैं।
ग्राम पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार को रोकने का दावा करते हुए हरियाणा सरकार ने ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया बनाई है जिसके तहत 2 लाख से अधिक का काम करवाने के लिए ई-टेंडर जारी किया जाएगा। फिर अधिकारियों की देखरेख में ठेकेदारों से काम करवाया जाएगा। इसके अलावा सरपंचों को गांवों के विकास कार्यों के बारे में सरकार को ब्योरा देना होगा।
सरकार का मानना है कि ऐसा करने से भ्रष्टाचार को रोकने में कामयाबी मिलेगी।राइट टू रिकॉल के तहत अब हरियाणा के गांवों के लोगों के पास ये अधिकार आ गया है कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं कराएगा तो उसे कार्यकाल खत्म होने से पहले भी हटाया जा सकता है। सरपंच को हटाने के लिए गांव के ही 33% मतदाताओं को लिखित शिकायत संबंधित अधिकारी को देनी होगी, जिसके बाद सरपंच को हटाया जा सकता है। यह अधिकार खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जा सकता है।
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