बुजुर्गों का सम्मान करना हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति की पहचान: डॉ आरती

421
SHARE
विद्यांतरिक्ष स्कूल ने मनाया विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस
भिवानी हलचल 15.06.2021
समर्थन में बच्चों, स्टाफ, अभिभावकों ने पहनी पर्पल रंग की ड्रेस
2050 तक दोगुनी होगी बुजुर्गों की संख्या
उनकी जरूरतों और सम्मान पर ध्यान देने की जरूरत
विद्यांतरिक्ष सीनियर सेकेंडरी स्कूल, भिवानी में आज विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस मनाया गया। स्कूल की संस्थापक डॉ आरती ने बताया कि इस मुद्दे और दिवस को समर्थन देने और बुजुर्गों के प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए आज स्कूल की मैनेजमेंट, सभी बच्चों, स्टाफ, और अभिभावकों ने पर्पल रंग की ड्रेस पहनी। डॉ आरती ने बताया कि उन्होंने विद्यांतरिक्ष के फेसबुक पेज से अपने मित्रों और आमजन से अपील कि थी कि वे पर्पल रंग पहने। अभियान के समर्थन में सिर्फ भिवानी नहीं, दादरी, नारनौल, हिसार, रोहतक, दिल्ली, आदि से स्कूल प्रिंसिपल और आमजन शामिल हुए। इनमे सलाउदीन कागदाना, निशा श्योराण, प्रशांत जाखड़, कर्ण मिरग, आकाश रहेजा, रामअवतार शर्मा, आदि मुख्य हैं। डॉ आरती ने बताया कि विद्यान्तरिक्ष के बच्चों ने अपने परिवार में बुजुर्गों को विशेष कार्ड बनाकर धन्यवाद भी किया। साथ ही, उन्हें रिबन भी लगाए। डॉ आरती ने कहा कि बुजुर्गों का सम्मान करना भारतीय संस्कृति और हमारे संस्कारों का अहम हिंसा हिंसा है। लेकिन वर्तमान समय में बुजुर्गों के अपमान और उनके साथ दुर्वयवहार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने 15 जून को बुजुर्गों का शोषण रोकने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिवस की घोषणा की थी। दुनिया भर के सभी देशों में इस दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। डॉ आरती ने विद्यांतरिक्ष स्कूल की ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों और स्टाफ को सम्बोधित करते हुए कहा कि 2050 तक, 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की वैश्विक जनसंख्या दोगुनी से अधिक हो जाएगी। और यदि बुजुर्गों से दुर्व्यवहार का वर्तमान अनुपात जारी रहता है, तो बुजुर्ग पीड़ितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
डॉ आरती ने कहा कि इस स्थिति को बेहतर बनाने के लिए हमें काम करना होगा और इसलिए विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस महत्व रखता है। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को आमतौर पर विश्व स्तर पर कम रिपोर्ट किया जाता है। इसलिए, वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारतीयों को पारिवारिक प्राणी माना जाता है। लेकिन 21वीं सदी में वास्तविक स्थित बहुत अलग है। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत के शहरी इलाकों में तो बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार आम बात है। 71 प्रतिशत से अधिक बुजुर्गों को उनके परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों द्वारा अपमानित किया जा रहा है।
दुर्वयवहार के विभिन्न रूपों के बारे में बताते हुए डॉ आरती ने कहा कि अनादर और मौखिक दुर्व्यवहार, मूक उपचार, उनकी दैनिक जरूरतों की अनदेखी, उचित भोजन से इनकार, चिकित्सा सहायता से इनकार, आर्थिक रूप से धोखा देना, शारीरिक और भावनात्मक हिंसा और बुजुर्गों को काम करने के लिए मजबूर करना आदि शामिल है। विद्यांतरिक्ष के बच्चों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यांतरिक्ष अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को गंभीरता से लेता है और इसलिए हम सबने मिलकर इस दिवस पर पर्पल रंग के कपड़े या रिबन पहने। यदि हम अपने बच्चों को ये संस्कार बचपन से ही देंगे तभी वो बुजुर्गों का सम्मान करना सीखेंगे। स्कूल डायरेक्टर अमित डागर, प्रधान अरुण मेहता, उपप्रधान देवेंदर दहिया और सचिव अशोक शर्मा ने इस दिवस को मनाने के लिए सभी बच्चों और स्टाफ की तारीफ की।