Success Story : देश में बेरोजगारी की मार को देखते हुए यह लगता है कि सरकारी नौकरी किसी मैडल से कम नहीं है। सरकारी नौकरी हासिल करना एक पदक जीतने के बराबर हो गया है। बेरोजगारी और जनसंख्या के बढ़ते प्रभाव को साफतौर पर देखा जा सकता है। प्रतियोगी परीक्षा में लाखों की भीड़ में से कुछ पदों को भरा जाता है।
हजार पदों पर निकली भर्ती के लिए लाखों की संख्या में आवेदन आते हैं। रेलवे जैसी भर्ती में 2 करोड़ के लगभग आवेदन संख्या पहुँच जाती है। आज हम आपको ऐसे ही शख्स की बात कर रहे हैं, जिन्होंने मंजिल पाने के लिए हार नहीं मानी और जो भी मिला उसे भी स्वीकार किया।
ये शख्स हैं बलिया के छोटे से गांव इब्राहिमाबाद निवासी 33 वर्षीय श्यामबाबू। जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद ही कमजोर रही। आर्थिक स्थिति हालात इसी से पता चलती है की बहनों को स्कूल तक नहीं भेजा जा सका। श्यामबाबू ने दसवीं पास करने के बाद ही सरकारी नौकरी के लिए हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए।
आईजी ने दिया ये संदेश
आईजी नवनीत सेकरा ने ट्विटर पर लिखा, ‘श्याम बाबू को 14 सालों की कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता के लिए बधाई। वे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा में सफलता के बाद एसडीएम बने हैं। हम या तो बहाने ढूंढते हैं या सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर सकते हैं। उन्हें देश की सेवा के लिए मेरी शुभकामनाएं।’