भिवानी के युवा लेखक धनराज गर्वा की पुस्तक का हुआ भव्य विमोचन
भिवानी :
भिवानी के युवा लेखक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि के छात्र धनराज गर्वा की पुस्तक एनवायरमैंटल गर्वनेंस : लॉ, पॉलिसी एंड प्रैक्ट्सि का भव्य विमोचन समारोह दिल्ली में देश के प्रख्यात विधि विशेषज्ञों की उपस्थिति में दिल्ली में संपन्न हुआ। इस दौरान देश के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डा. जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने धनराज गर्वा द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया।
यह पुस्तक देश में पर्यावरणीय शासन, नीति और विधिक संरचना की गहन विवेचना करती है और समसामयिक मुद्दों के साथ-साथ भारत के विधि छात्रों, शोधार्थियों व नीति निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक का कार्य कर सकती है। इस अवसर पर लेखक के परिवारजन, विधिक क्षेत्र से जुड़े कई छात्र और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले युवा भी उपस्थित रहे।
वही स्टैंड विद नेचर के संस्थापक व पर्यावरण रणनीतिकार डा. लोकेश भिवानी ने इस अवसर पर लेखक धनराज गर्वा को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज जब पूरी दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, भारत को ऐसे युवा विधिवेत्ता और लेखक चाहिए जो पर्यावरण नीति, कानून और व्यवहार के त्रिकोण को गहराई से समझें और समाधान की दिशा में सशक्त संवाद खड़ा करें। धनराज गर्वा की यह पुस्तक ना केवल विधिक दृष्टिकोण से उपयोगी है, बल्कि यह नीति-निर्माण और जनजागरण के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकती है।
इस मौके पर दिल्ली उच्च न्यायालय में भारत सरकार के अपर महाधिवक्ता चेतन शर्मा, प्रख्यात विधिवेत्ता असीम चावला वरिष्ठ अधिवक्ता, एमके मरोडिय़ा वरिष्ठ शासकीय अधिवक्ता एवं केंद्रीय अभिकरण अनुभाग के प्रभारी, पवन रिल्ले एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और सुधीर मिश्रा वरिष्ठ अधिवक्ता की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी गणमान्यजनों ने लेखक की विद्वतापूर्ण लेखन शैली की सराहना करते हुए इसे पर्यावरण कानून की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास बताया।
पुस्तक के विमोचन से पूर्व भारत के वरिष्ठतम पर्यावरण कानून विशेषज्ञ श्याम दीवान वरिष्ठ अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय ने इस पुस्तक को पढक़र इसकी संवेदनशीलता, तथ्यपरकता एवं विधिक विश्लेषण की प्रशंसा की है। वहीं भारत के पूर्व महा न्यायवादी केके वेणुगोपाल ने इसे विधि के विद्यार्थियों और पर्यावरण नीति निर्धारण में संलग्न संस्थाओं के लिए एक मील का पत्थर करार दिया है।
बता दे कि धनराज गर्वा की यह दूसरी पुस्तक है। इससे पूर्व उन्होंने 19 वर्ष की आयु में भारतीय संविधान की बुनियादी अवधारणाओं पर आधारित दि कांस्टीट्यूशन केनवैस : इंडियाज फाउंडेशन ब्रशस्ट्रोक नामक पुस्तक लिखकर शिक्षा व विधि जगत में अपनी अलग पहचान बनाई थी।

