चरखी दादरी में 1.65 करोड़ खर्च के बाद भी जलभराव

चरखी दादरी शहर में जलभराव की वजह से लोगों को भारी परेशानी हो रही है। लोहारू चौक पर तो ड्राइवरों के लिए गाड़ी निकालना बहुत मुश्किल हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये समस्या विधायक के घर से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर है, लेकिन फिर भी ना तो विधायक ध्यान दे रहे हैं और ना ही विभाग या प्रशासनिक अफसर कोई कार्रवाई कर रहे हैं।
जबकि मानसून का मौसम करीब है, लेकिन कोई भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा, जिससे आने वाले दिनों में लोगों को और भी ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ सकती है।
विधायक आवास से 300 मीटर दूर जलभराव
चरखी दादरी के लोहारू चौक पर जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई है। स्थानीय लोगों धर्मेंद्र फौजी, रफीक अहमद और मुकेश ने बताया कि बारिश के समय यहां पानी निकासी के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं, जिससे सड़क पर पानी भर जाता है और आवाजाही मुश्किल हो जाती है।
लोगों ने कहा कि सरकार, प्रशासन और विधायक की ओर से बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि विधायक निवास से महज 300 मीटर दूर नेशनल हाईवे 334-बी पर ही हालात खराब हैं और कोई ध्यान नहीं दे रहा।
उन्होंने बताया कि शहर के अन्य इलाकों में भी लोग सीवर की समस्या से जूझ रहे हैं। कई बार विधायक, जनस्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी दी गई, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। लोगों ने जल्द से जल्द समस्या दूर करने की मांग की है।
धमेंद्र फौजी ने बताया कि दो साल से समस्या बनी हुई है। वे एनएचआई के अधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं लेकिन ना ही पानी निकासी का कोई स्थाई समाधान किया जाता और ना ही नालों की सफाई की गई है।
जनता ने विधायक को इस उम्मीद के साथ चुनकर भेजा था कि लोगों की समस्या का समाधान करवाया जाएगा लेकिन काम केवल कागजों में होते हैं धरातल पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। चरखी दादरी में सीवर की समस्या काफी समय से चली आ रही है। समाधान को लेकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। टेंडर जारी होने पर बार-बार जनप्रतिनिधियों द्वारा वाहवाही लूटी जाती है और समस्या के समाधान के दावे किए जाते हैं। लेकिन मामूली बारिश ही दावों की पोल खोलकर रख देती है। यहीं हाल वर्तमान में शहर के लोहारू चौक पर बना हुआ है जहां सड़क मिनी तालाब नजर आ रही है। जनस्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जलभराव व सीवर संबंधी समस्या के समाधान के लिए पूर्व में 1 करोड़ 65 लाख खर्च किए जा चुके हैं और करीब 3.80 करोड़ के कार्य चल रहे हैं। लेकिन लोग अभी भी समस्या से जूझ रहे हैं और मानसून सीजन को देखते हुए चिंता सताने लगी है।