हरियाणा के शहीद लेफ्टिनेंट को अंतिम विदाई 

 
हरियाणा के शहीद लेफ्टिनेंट को अंतिम विदाई 

हरियाणा में रेवाड़ी के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को थोड़ी देर में अंतिम विदाई दी जाएगी। शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे उनका पार्थिव शरीर रेवाड़ी पहुंचा। सबसे पहले पार्थिव शरीर को सेक्टर 18 में स्थित घर में लाया गया। जहां परिवार के सदस्यों ने अंतिम दर्शन किए।

इस दौरान पार्थिव शरीर के साथ आए एयरफोर्स के ऑफिसर ने अपनी टोपी उतारकर सिद्धार्थ की मां को पहनाई। अब पार्थिव शरीर को पैतृक गांव भालखी माजरा में ले जाया जा रहा है। जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

इस मौके एयरफोर्स की टुकड़ी उन्हें सलामी भी देगी। शहीद को उनके पिता सुशील यादव मुखाग्नि देंगे। अंतिम यात्रा में पूर्व मंत्री बनवारी लाल और SDM सुरेंद्र पहुंचे हैं। 

  • 1. NDA में 9 साल पहले हुआ था चयन: सिद्धार्थ ने 2016 में NDA की परीक्षा पास की थी। इसके बाद 3 साल का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने बतौर फाइटर पायलट वायुसेना जॉइन की थी। उन्हें 2 साल बाद प्रोमोशन मिला था, जिससे वह फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए थे।
  • सगाई करके लौटे, 2 नवंबर को शादी थी: 23 मार्च को ही सिद्धार्थ की सगाई हुई थी। इसके बाद पूरा परिवार सिद्धार्थ की शादी का इंतजार कर रहा था। 2 नवंबर को उनकी शादी तय हुई थी, लेकिन 2 अप्रैल की रात अनहोनी की सूचना आई और परिवार सहित पूरा रेवाड़ी गम में डूब गया। 
  • पिता ने बेटे की शादी के लिए नया घर बनाया था: शहीद सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव मूल रूप से रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से रेवाड़ी में ही रह रहे हैं। बेटे की शादी के लिए ही उन्होंने सेक्टर-18 में घर बनाया था। इसी घर पर बेटे की शादी होनी थी। सिद्धार्थ बड़े बेटे थे। उनकी एक छोटी बहन हैं।
  • 4 पीढ़ी से परिवार सेना में: शहीद के ममेरे भाई सचिन यादव ने बताया है कि सिद्धार्थ के परदादा बंगाल इंजीनियर्स में कार्यरत थे, जो ब्रिटिशर्स के अंडर आता था। सिद्धार्थ के दादा पैरामिलिट्री फोर्स में थे। इसके बाद इनके पिता भी एयरफोर्स में रहे। वर्तमान में वह LIC में कार्यरत हैं। सिद्धार्थ चौथी पीढ़ी थी, जो सेना में सेवाएं दे रही थीं। 
  • गुजरात में जगुआर क्रैश में शहीद हुए: गुजरात के जामनगर में 2 अप्रैल को भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश में फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए थे। जगुआर में कुछ तकनीकी खराबी आई। जब यह तय हुआ कि जगुआर क्रैश होना तय है तो सिद्धार्थ ने अपने साथी मनोज कुमार को इजेक्ट कराया और विमान कहीं घनी आबादी में न गिरे, इसके लिए प्रयास शुरू किया। वह विमान को खाली जगह में ले गए और वीरगति को प्राप्त हुए।