भिवानी CBLU में पहली बार डिप्लोमा-डिग्री एक साथ
भिवानी में स्थित चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से लागू करना और हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में मौलिक शोध, अध्ययन और दृष्टि विकसित करने के साथ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है। भारतीय भाषाओं का ज्ञान आज के समय में वैश्विक बाजार की जरूरत और रोजगार का सुनहरा विकल्प है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने अपने विद्यार्थियों को हिंदी और संस्कृत में स्नाकोत्तर और पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन करने का अवसर दिया है।
डीन ह्यूमैनिटीज डॉ. विपिन कुमार जैन ने बताया कि विभिन्न भारतीय संस्कृति तथा भाषाओं के अध्ययन को बड़े फलक पर पहुंचाने के लिए हिंदी विभाग का नाम बदलकर भारतीय संस्कृति एवं भाषा विभाग किया गया है। जिससे आने वाले समय में पूरे भारत से विद्यार्थी विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने और भारतीय भाषाओं में शोध करने के लिए आ सके।
हिंदी, संस्कृत, अन्य भारतीय भाषाएं आज विश्व में बाजार स्थापित कर व्यापार करने के लिए जरूरी हो गई हैं। अमेजन, गूगल, ओटीटी प्लेटफार्म अपने कंटेंट को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में क्रिएट कर रहे हैं। इन मल्टीनेशनल कंपनियों और ब्रांड में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में काम करने वाले ज्यादातर भारतीय हीं हैं। इसलिए हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों को वैश्विक बाजार के लिए क्रिएटर बनाना है।
एमए हिंदी में 80 सीटें विभागाध्यक्ष डॉ. लक्खा सिंह ने कहा कि स्थानीय छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देने के साथ ही उनमें कौशल विकसित करने के लिए समय-समय पर व्याख्यान और ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारतीय संस्कृति एवं भाषा विभाग के अंतर्गत आने वाले पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या, फीस आदि की जानकारी देते हुए डिपार्टमेंट की कोऑर्डिनेटर डॉ. दीपक कुमारी ने कहा कि इस विभाग के अंतर्गत एमए हिंदी कराया जा रहा है। जिसके लिए सामान्य श्रेणी के छात्रों को 45 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी विषय में स्नातक होना चाहिए। साथ ही आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए यह अंक 42.75 प्रतिशत है।
इसमें सीटों की संख्या 80 है, जिसके अंतर्गत ही नियमानुसार आरक्षण दिया गया है। वहीं पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन में सीटों की संख्या 30 है और इसमें हिंदी और अंग्रेजी विषय के साथ 45 अंकों के साथ स्नातक किए हुए विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। पहली बार आए एमए संस्कृत में स्नाकोत्तर करने के लिए किसी भी विषय में 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक होना अनिवार्य है। सीटों की संख्या की संख्या 40 है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 26 जून है।

