आयुष्मान कार्ड के तहत फीस लेने पर अस्पताल पर 5 लाख जुर्माना 

 
आयुष्मान कार्ड के तहत फीस लेने पर अस्पताल पर 5 लाख जुर्माना 

चरखी दादरी में लोहारू रोड़ स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में झोझू कलां निवासी महिला मरीज के परिजनों से आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज कराने के उपरांत रुपए लेने पर कंज्यूमर कोर्ट ने जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने गलत तरीके से रुपए लेने पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। महिला ने सीएम विंडो पर भी शिकायत भेजी थी।

बता दे कि गांव झोझू कलां निवासी महिला रोशनी के पास आयुष्मान कार्ड है। वह 1 अप्रैल 2024 को पेट में दर्द होने पर आयुष्मान पैनल में शामिल लोहारू रोड़ स्थित जीके सुपर स्पेशीलिटी अस्पताल चरखी दादरी पहुंची थी। जहां डॉक्टर ने उसे भर्ती कर लिया और उसका अपेन्डिक्स का ऑप्रेशन किया गया। महिला ने अपनी शिकायत में बताया था कि 3 अप्रैल 2024 को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। लेकिन डिस्चार्ज करते वक्त अस्पताल के डॉक्टर ने 15 हजार रुपए मांगे। जबकि आयुष्मान कार्डधारक होने के नाते उसका इलाज मुफ्त में होना था।

रुपए नहीं देने पर डिस्चार्ज करने से किया मना

जब परिजनों ने रूपए देने से इनकार कर दिया तो डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने से मना कर दिया। परिजनों ने बार-बार आग्रह करने के बाद भी डिस्चार्ज नहीं किया और अपनी जिद पर अड़े रहे। जिस पर मजबूरन उसके पति ने 13750 रूपए अस्पताल के खाता में अपने बैंक खाता से ट्रांसफर किये तब जाकर उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया और जब बिल मांगा तो उन्होंने बिल देने से भी मना कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि आपको डिस्चार्ज कर दिया है। बिल की आपको कोई आवश्यकता नहीं है।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में लिखा कि डॉक्टर ने मजबूर व लाचार मरीजों को लूटने का गोरख धंधा बना रखा है जो कि सरकार द्वारा जारी स्कीम के तहत उक्त अस्पताल को हर प्रकार की सुविधा व सहायता उपलब्ध करवाने के बाद भी वे मरीजों से नाजायज तौर पर किसी ना किसी प्रकार का डर व भय दिखाकर पैसे ऐंठ रहे हैं तथा भारत सरकार के नियमों व हिदायतों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। उसने अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की तथा रुपए वापिस दिलाने की मांग की। स्वास्थ्य विभाग ने की जांच महिला की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच की गई तो उसमें गलते तरीके से रूपए लेना पाया गया। और उसके रुपए वापिस करने के निर्देश दिए गए। जिला उपभोक्ता अदालत ने लगाया जुर्माना महिला ने अस्पताल के डॉक्टर द्वारा गलत तरीके रुपए लेने पर वकील के माध्यम से अप्रैल 2024 में डॉक्टर के पास एक कानूनी नोटिस भिजवाया जिसका ना ही जवाब दिया गया और ना ही उसकी समस्या का हल किया गया। बाद में उसने जिला उपभोक्ता अदालत में केस किया था। जिस पर सभी साक्ष्यों की जांच के बाद करीब एक साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ये माना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना भारत सरकार की एक राष्ट्रीय प्रमुख योजना है, जो पात्र लाभार्थियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक नकद रहित पहुँच प्रदान करने के लिए बनाई गई है। सूचीबद्ध अस्पतालों को योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार आयुष्मान कार्ड धारक को उपचार प्रदान करना अनिवार्य है। ऐसा करने से इनकार करना या उचित और सावधानीपूर्वक विचार न करना और लाभार्थी से उन सेवाओं के लिए शुल्क लेना जो मुफ़्त प्रदान की जानी चाहिए थी, सूचीबद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में रखे गए विश्वास का स्पष्ट उल्लंघन है और इस महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल के सफल कार्यान्वयन के लिए एक सीधा कार्यान्वयन है।

इसके अलावा अस्पताल और डॉ. गौरव कालरा का आचरण न केवल अनैतिक है, बल्कि कमजोर व्यक्तियों के अधिकारों और एक महत्वपूर्ण सरकारी कल्याण कार्यक्रम के उद्देश्यों के प्रति एक कठोर उपेक्षा भी दर्शाता है। इस तरह की कार्रवाई गरीबों को भारी कठिनाई का कारण बनती है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में उनका विश्वास खत्म करती है। यह आयोग ऐसी प्रथाओं को बहुत गंभीरता से लेता है, जो सबसे जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवा पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई योजनाओं के उद्देश्य को पटरी से उतारने की क्षमता रखती हैं। सेवा में कमी और हकदार लाभार्थी से जानबूझ कर अधिक पैसे वसूलने की गंभीरता को देखते हुए, इस आयोग की यह राय है कि भारी दंडात्मक हर्जाना देना चाहिए।

इस हर्जाना से न केवल शिकायतकर्ता को हुई वित्तीय नुकसान और परेशानी की भरपाई होनी चाहिए, बल्कि अन्य सूचीबद्ध अस्पतालों और चिकित्सा पेशेवरों को इस तरह के शोषणकारी व्यवहार करने से रोकने के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में भी काम करना चाहिए। इसके अलावा अस्पताल की हरकतें सरकारी स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के साथ उसके निरंतर जुड़ाव के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं। ऐसी संस्थाओं को सूचीबद्ध रहने देना लाभार्थियों के हितों और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की अखंडता के लिए हानिकारक होगा। कोर्ट ने डॉक्टर को 5 लाख रुपए दंडात्मक हर्जाना देने के निर्देश दिए हैं। जिसे "राज्य आयोग के कानूनी सहायता खाते" के नाम से खाते में जमा किया जाना है,