हरियाणा में 3075 कॉमन सर्विस सेंटरों की आईडी ब्लॉक
हरियाणा में कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) प्रॉपर सेटअप में नहीं चल रहे हैं।
इसका खुलासा राज्य स्तर पर सेंटरों के निरीक्षण में हुआ है। सरकार ने ऐसे कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों पर बड़े स्तर पर कार्रवाई की है, जिसके तहत लगभग 3075 सीएससी आईडी को ब्लॉक कर दिया गया है।
सबसे बात यह है कि ये सभी सेंटर प्रॉपर सेटअप के बिना चल रहे थे। सीएससी के अधिकृत ब्रांडिंग बोर्ड एवं निर्धारित फीस चार्ट भी इन सेंटरों पर नहीं लगाए गए थे। राज्य स्तर पर यह अभियान सीएससी की पारदर्शिता और नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए चलाया गया था, जिसमें सभी जिलों में निरीक्षण किया गया।
इसलिए की गई ये कार्रवाई
हरियाणा सरकार को कॉमन सर्विस सेंटरों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। सीएम नायब सैनी तक भी ये शिकायतें जन मिलनी कार्यक्रम में पहुंची। जिसके बाद सीएम ने अधिकारियों से इसका फीडबैक लिया।
इसके बाद ये कार्रवाई प्रदेश स्तर पर की गई है। निरीक्षण में विशेष रूप से मेवात नूंह जिले में इस कार्रवाई का प्रभाव अधिक देखने को मिला, जहां 218 आईडी बंद की गई, क्योंकि ये केंद्र धरातल पर सक्रिय नहीं पाए गए या नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
नूंह जिले में पंचायत और गांव स्तर पर ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने के लिए 846 सीएससी आईडी वितरित की गई थीं, लेकिन इनमें 218 के संचालन में कई अनियमितताएं पाई गई। निरीक्षण के दौरान कई संचालक मौके पर नहीं मिले, लोकेशन से अलग काम करते पाए गए, और फीस चार्ट या ब्रांडिंग बोर्ड जैसी बुनियादी आवश्यकताओं का पालन नहीं किया जा रहा था। जिसके बाद 218 आईडी को पूरी तरह बंद कर दिया गया और इनकी सेवाएं, समाप्त कर दी गई हैं।
कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या जन सेवा केंद्र, भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नागरिकों को सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं तक डिजिटल पहुंच प्रदान करने वाले केंद्र हैं, जो एक ही जगह पर बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिल भुगतान, और सामाजिक कल्याण योजनाओं जैसी कई सुविधाएं (जैसे आधार, पैन कार्ड आवेदन) उपलब्ध कराते हैं, जिससे डिजिटल समावेशन बढ़ता है और नागरिकों का जीवन आसान होता है।
वन-स्टॉप शॉप: ये केंद्र एक ही स्थान पर कई तरह की सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिससे लोगों को अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।
डिजिटल पहुंच: इनका मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों के लोगों को इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी डिजिटल सुविधाओं से जोड़ना है, जहाँ इनकी कमी है।
सेवाएं: इनमें सरकारी योजनाओं (जैसे पेंशन, बीमा), बिल भुगतान (बिजली, पानी), बैंकिंग सेवाएं (खाता खोलना, पैसे निकालना), शिक्षा (कंप्यूटर प्रशिक्षण), स्वास्थ्य सेवाएं (टेलीमेडिसिन), और अन्य व्यवसायिक सेवाएं (पैन कार्ड, आधार) शामिल हैं।
ग्रामीण सशक्तिकरण: ये ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं और स्थानीय उद्यमियों (ग्राम स्तरीय उद्यमी - VLEs) द्वारा चलाए जाते हैं, जो सामाजिक परिवर्तन के एजेंट के रूप में काम करते हैं।
तकनीकी आवश्यकताएं: इनमें आमतौर पर कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट कनेक्शन, और बायोमेट्रिक स्कैनर जैसी बुनियादी ICT उपकरण होते हैं।

