जूना अखाड़े में गृहस्थ जीवन को त्याग कर नागा संन्यासी बनना बहुत कठिन-डॉ. अशाेक गिरी 
 

 
जूना अखाड़े में गृहस्थ जीवन को त्याग कर नागा संन्यासी बनना बहुत कठिन-डॉ. अशाेक गिरी 

भिवानी।

सनातन धर्म में साधुओं और संतों का अत्यधिक महत्व है। साधु और संत अपने जीवन के दौरान प्रभु की भक्ति और साधना में लीन रहते हैं। इसके साथ ही वे लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे लोग अपने जीवन में भक्ति की गहराई को समझ पाते हैं। सभी 13 अखाड़ों में जूना अखाड़ा को सबसे प्रमुख माना जाता है। जूना अखाड़े में गृहस्थ जीवन को त्याग कर नागा संन्यासी बनना बहुत कठिन है। इसके लिए कई वर्षों का समर्पण आवश्यक होता है। 

यह बात जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय श्री महंत व बाबा जहर गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर डॉ. अशाेक गिरी महाराज ने युवा केशव को गुरु दीक्षा देने के पश्चात कही। दीक्षा लेने के पश्चात वे अब केशवानंद गिरि के नाम से जाने जाएंगे। इससे पहले सिद्ध बाबा जहर गिरी आश्रम में केशवानंद गिरी की वैदिक मंत्राेच्चारण के बीच डाॅ. अशाेक गिरि महाराज ने गुरु दीक्षा प्रदान की गई। 

अत्यंत कठिन मानी जाती है नागा साधु बनने की प्रक्रिया 

श्रीमहंत डाॅ. अशाेक गिरि महाराज ने बताया कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन मानी जाती है। साधुओं और संतों में नागा साधु भी शामिल होते हैं। नागा साधु बनने के लिए एक कठिन प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक होता है। साधु बनने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य और कठोर साधना का पालन करना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया में 2-3 वर्ष तक का समय लग सकता है। परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए साधक को 5 गुरुओं से दीक्षा लेनी होती है, जो शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश के रूप में जाने जाते हैं जिन्हें पंच देव कहा जाता है। व्यक्ति सांसारिक जीवन को त्याग कर आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करते हैं और अपने आत्म का पिंडदान करते हैं। जो व्यक्ति सभी नियमों का पालन करता है, वही नागा साधु बनता है। इस अवसर पर बाबा कैलाश गिरि, घनश्याम यति, विशंभर भारती, बंसी गिरि सहित अनेक साधू व संत मौजूद रहे। 

उज्जैन महाकुंभ में दी जाएगी नागा दीक्षा

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय श्री महंत डॉ. अशाेक गिरि महाराज ने बताया कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया में सर्वप्रथम महापुरुष, अवधूत श्रेणी के बाद नागा साधु बनाया जाता है। केशवानंद गिरी के उज्जैन महाकुंभ में नागा दीक्षा दी जाएगी। अब से महाकुंभ के दौरान के समय में केशवानंद गिरी को सर्वप्रथम पतित पावनी मां गंगा का स्नान, पूजा-अर्चना करवाई जाएगी। इसके पश्चात वे हरिद्वार में ही रहकर नित्य प्रति पूजा, अनुष्ठान, सांख्य योग, शास्त्रों के ज्ञान सहित विभिन्न प्रकार से दीक्षा काे प्राप्त करेंगे।