टीचर को जिंदा गाड़ने के लिए 64 किमी किया सफर

चरखी दादरी।
चरखी दादरी में टीचर को जिंदा गाड़ने के किए मुख्यारोपी उसे अपहरण के बाद रोहतक से दादरी ले गया। हाथ-पैर बांधे टीचर को आरोपी गाड़ी में डालकर रोहतक से 64 किलोमीटर दूर दादरी तक गए और वहां पहले से खुदवाए कुएं में जिंदा गाड़ दिया।
मुख्य आरोपी टीचर को जिंदा गाड़ने के बाद भी कई दिन तक कुएं के आसपास घूमता रहा। पकड़े गए आरोपियों ने भी कई दिन तक कुएं पर नजर रखी ताकि कुत्ते मिट्टी ने खोद दें और टीचर जिंदा न निकल पाए।
रोहतक पुलिस ने हिरासत में लिए दो आरोपियों का रिमांड पूरा कर लिया है। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों से की जानकारियां उगलवाई हैं। हालांकि पुलिस अभी तक इस मामले में कुछ भी बताने से बच रही है। पुलिस का कहना है कि मुख्यारोपी को पकड़ने के बाद पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा।
5 दिन से फरार है मुख्यारोपी राजकरण, नहीं दबोच पाई पुलिस टीचर (फिजियोथेरेपिस्ट) का अपहरण कर उसे पैंतावास कलां में जिंदा दबाने के मामले में मुख्य आरोपी राजकरण 5 दिन से पुलिस गिरफ्त से बाहर है। उसे पकड़ने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं जो संभावित ठिकानों पर छापे मार रही हैं। मुख्य आरोपी राजकरण ने पत्नी से अवैध संबंध के चलते साथियों के साथ मिलकर फिजियोथेरेपिस्ट जगदीप का रोहतक से अपहरण किया और दादरी में जिंदा गाड़ दिया था।
कुएं पर लगातार नजर रख सके इसलिए गोरखधाम को चुना राजकरण ने जिस गोरखधाम के पास टीचर को कुआं खोदकर जिंदा गाड़ा,वह उसी गोरखधाम में सेवा करता था और पता था कि यहां कोई आता-जाता नहीं है। इसलिए उसने जगदीप को जिंदा गाड़ने के लिए गोरखधाम के पास ही कुआं खुदवाया ताकि लोगों को शक न हो और वह सेवक के तौर पर इस स्थान पर नजर रख सके। टीचर को जिंदा गाड़ने के बाद इसलिए वह भागा नहीं और रोज कालूवाला जोहड़ में गोरखधाम पर जाता रहा।
राजकरण के पास थी धाम की चाबी राजकरण ने जगदीप को पैंतावास कलां के कालूवाला जोहड़ स्थित गोरखधाम के समीप दबाया था। यह स्थान गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर है और यहां लोगों का आवाजाही कम है। वहां ऊंचे टीले पर कमरा, हॉल, मंदिर, पानी की टंकी, चबूतरा आदि बनाए गए हैं। वहीं पास में कुछ एकड़ पंचायती जमीन है जो खाली पड़ी है।
ग्रामीणों की मानें तो पुजारी के जाने के बाद से राजकरण के पास ही धाम की चाबी थी और वो ही सुबह-शाम वहां बतौर सेवादार जाता था। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वह धार्मिक आस्था के चलते वहां जाता था या लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम देने के लिए वहां जाना शुरू किया था। वारदात को अंजाम देने के बाद भी वह जाता रहा ताकि किसी को शक भी ना हो और उस स्थान की रेकी भी आसानी से की जा सके।
धाम के पास इसलिए गाड़ा ताकि टीले से रख सके नजर पैंतावास कलां का जो गोरखधाम है उससे करीब 100 मीटर दूर पंचायत की खाली जमीन पर ही टीचर को कुआं खोदने के बाद सीधा गाड़ा गया। धाम टीले पर बना है और वहां से पंचायत की जमीन साफ नजर आती है। लोगों के अनुसार आरोपी ने टीचर को यहां पर शायद इसलिए गाड़ा ताकि टीले से उस स्थान पर नजर रखी जा सके ताकि कोई जानवर मिट्टी खोने की कोशिश करे तो उसे आसानी से भगाया जा सके या फिर पुलिस के आने पर भागने का मौका मिल सके।
पुलिस कुएं के पास पहुंची तो वहां से भागा, चाबी भी साथ ले गया आरोपी टीचर को जिंदा गाड़ने के बाद लगातार टीले से कुएं पर नजर रखने लगा। तीन महीने तक किसी के न आने से वह निश्चिंत हो गया था, लेकिन सतर्क था। इसलिए जैसे ही 24 मार्च को पुलिस मौके पर पहुंची तो उसने पुलिस को दूर से ही देख लिया था और भाग गया। भागते वक्त वह गोरखधान की चाबी भी साथ ले गया। इसके बाद पुलिस ने धाम के कमरे का ताला तोड़ा और CCTV चेक किए।
मृतक टीचर जगदीप रोहतक की जिस जनता कॉलोनी के मकान में रहता था वह घर मुख्यारोपी राजकरण की सास का है। यहां पर उसकी सास अकेली रहती है। यहां राजकरण की पत्नी का मां से मिलने के लिए अकसर आना-जाना था। इस दौरान टीचर के साथ उसकी नजदीकियां बढ़ गईं। जब राजकरण को पत्नी और टीचर पर शक हुआ तो उसने टीचर को मारने का प्लान बनाया