कोई स्थान हो कोई समय हो कोई काल हो सत्संग होता रहना चाहिए-कंवर साहेब महाराज
दिनोद। कोई स्थान हो कोई समय हो कोई काल हो सत्संग होता रहना चाहिए क्योंकि सत्संग सत्य का संग है और सत्य स्थान समय और काल का मोहताज नहीं है।
सत्संग परमात्मा के नाम का गुणगान है क्योंकि परमात्म स्तुति ही इंसान का मुख्य कर्म है।यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। गुरु महाराज एक महीने के विदेश सत्संग प्रवास से वापिस दिनोद धाम लौट कर संगत को दर्शन और सत्संग दे रहे थे। हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि जीवन में कई बार हमारे सामने दो मार्ग होते हैं।
एक मार्ग वो जो जीवन बना देता है और दूसरा मार्ग वो जो जीवन को बर्बाद कर दे।पहले रास्ते पर दुख तकलीफ होगी।मेहनत भी ज्यादा करनी होगी लेकिन ये सर्वदा सुख का मार्ग है।उन्होंने कहा भक्ति भी बिना परिश्रम के नहीं होगी।इंसान को परिश्रम कर अपने कल्याण का मार्ग ढूंढना चाहिए।
हमारी रूह परमात्मा से ही बिछड़ कर आई थी इसका कल्याण भी परमात्मा से मिलन होने पर ही होता है।गुरु महाराज जी ने कहा कि पहले अच्छे इंसान बनो।
परोपकार करो दया करो सेवा करो।करो तो अपने लिए करो।जैसे जमींदार यदि अपने खेत की सम्भाल करके अच्छी फसल पा जाता है वैसे ही आप भी अपने जीवन रूपी खेती की सही सम्हाल करो।अपने कर्मो को ठीक करके अपने जगत को और अगत को सँवारो।दया उसको मिलती है जो पात्र है, पात्र बनो।

