ऑनलाइन कंपनियों ने स्थानीय दुकानदारों के काम-काज को किया ठप्प, फूटा व्यापारियों का गुस्सा
भिवानी:
देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले छोटे दुकानदार और पारंपरिक व्यापारी इन दिनों बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्मस की बढ़ती लोकप्रियता और गहरी छूट के दिखावे की नीतियों ने स्थानीय दुकानों को खाली कर दिया है। इसी स्थिति के विरोध में मंगलवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने स्थानीय दुकानदारों के समर्थन में रोष प्रदर्शन किया तथा सरकार से स्थानीय दुकानदारों को बचाने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्मस पर लगाम लगाने की मांग की।
मंगवलार को स्थानीय दादरी गेट, हनुमान गेट व हांसी गेट में स्वदेशी जागरण मंच, जेसीआई भिवानी स्टार व युवा जागृति एव जन कल्याण मिशन ट्रस्ट ने स्थानीय दुकानदारों के समर्थन में उतरते हुए प्रदर्शन किया तथा कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग ने स्थानीय दुकानदारों की कमर तोड़ दी है, जिसके चलते अब स्थानीय दुकानदार अपने संस्थान बंद करने की कगार पर पहुंच गए है। इस दौरान प्रदर्शनकारी दुकानदारों ने स्थानीय लोगों से भी आह्वान किया कि वे ऑनलाईन कंपनियों का बहिष्कार करते हुए स्थानीय दुकानदारों से सामान खरीदे, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकें।
इस मौके पर स्वदेशी जागरण मंच से स्वावलंबी भारत अभियान के जिला समन्वयक अमित बंसल मुंढ़ालिया ने कहा कि ने कहा कि स्थानीय दुकानदारों व स्वदेशी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया था। तथा इस अभियान में स्वदेशी जागरण मंच ने भी अपनी अहम भूमिका अदा की। जिसका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाना था, ताकि देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत बन सकें। लेकिन मोबाईल व इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के दौर में ऑनलाईन शॉपिंग का ट्रेंड वोकल फॉर लोकल की सोच को ध्वस्त कर रहा है। जिसके चलते स्थानीय दुकानदारों का रोजगार छिन रहा है तथा वे आर्थिक मोर्चे पर कमजोर होते जा रहे है। ऐसे में यह लड़ाई सिर्फ बाजार की नहीं, बल्कि स्थानीय पहचान और आजीविका की है।
इस मौके पर व्यापारी गोपाल कुम्हारीवाला ने कहा कि ऑनलाइन कंपनियों की अनुचित मूल्य नीति, भारी छूट और सरकारी समर्थन ने उनके व्यापार को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है। ऑनलाइन से खरीदारी बढऩे से से मोहल्ले की दुकानें बंद हो रही हैं, जिससे मज़दूरों और कर्मचारियों का रोजग़ार छिन रहा है, कई बार ऑनलाइन उत्पाद नकली या खराब निकलते हैं और ग्राहक शिकायत भी नहीं कर पाते, पैसा शहर के बाहर चला जाता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था कमजोर होती है।
स्वदेशी जागरण मंच से धीरज सोनी ने कहा कि स्थानीय दुकानदार कई पीढिय़ों से कारोबार कर रहे हैं, लेकिन आज उनकी दुकानें खाली हैं और ग्राहक मोबाइल पर सामान मंगा रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सुनियोजित विनाश है। उन्होंने कहा कि ऑनलाईन खरीददारी से आमजन फ्रॉड का भी शिकार हो रहे है, क्योंकि ऑनलाईन शॉपिंग में ग्राहकों को लोकलुभावने चित्र व कम रेट बताकर उनसे खराब या एक्सपायरी सामान बेचा जाता है।
इस मौके पर ग्रामोद्योग से जुड़ी महिला संतोष देवी ने बताया की उनके गांव में महिलाओं का एक समूह आर्टिफिशियल आभूषण बनाने का कार्य करती थी, जिसको आस-पास क्षेत्र की महिलाएं खरीदने के लिए आती थी तथा उनके परिवारों का खर्च इसी आजीविका पर टिका था, परंतु जब से ये ऑनलाइन की खरीदारी शरू हुई है, तब से हमारा काम बंद हो गया है। प्रदर्शनकारी दुकानदारों व व्यापारियों ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऑनलाईन शॉपिंग कंपनियों के डिस्काउंट और मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण हो, छोटे व्यापारियों के लिए टेक्नोलॉजी और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का अनुकूलन हो, लोकल फॉर वोकल अभियान को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए।
इस अवसर पर अंकुर चावलवाला, विजय टुटेजा, पंकज गोयल, मनीष गुप्ता, मोहित कुमार, उमा शंकर अग्रवाल, कपिल शर्मा, राजेश बंसल, विकास गुप्ता, दिनेश दधीची, पवन सैनी, धीरज सैनी सहित अन्य व्यापारी मौजूद रहे।

