रोहतक MDU यौन उत्पीड़न केस, प्रोफेसर को नौकरी से निकाला 

 
रोहतक MDU यौन उत्पीड़न केस, प्रोफेसर को नौकरी से निकाला 

रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न मामले में एक प्रोफेसर की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया।

साथ ही एक प्राध्यापिका के लगातार गैरहाजिर रहने पर उसे निलंबित किया गया। कार्यकारी परिषद की मीटिंग में एक प्रोफेसर की पीएचडी डिग्री वापस लेने और रिकवरी करने के निर्देश दिए गए।

एमडीयू में कार्यकारी परिषद की मीटिंग में छात्रा से यौन उत्पीड़न मामले में चर्चा की गई। मीटिंग में बताया कि नवंबर 2024 में इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च की पीएचडी छात्रा ने वीसी को शिकायत दी थी। जिसमें पीएचडी सुपरवाइजर डॉ. अशोक कुमार पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

छात्रा की शिकायत पर डॉ. सपना की अध्यक्षता में 6 सदस्यों की जांच कमेटी बनाई। जांच कमेटी ने पाया कि पीएचडी छात्रा पर प्रोफेसर अशोक कुमार दबाव बना रहा था। साथ ही यौन उत्पीड़न से संबंधित कॉल रिकॉर्डिंग भी मिली। साथ ही अन्य सबूतों को मीटिंग में रखा गया, जिस पर तुरंत वीसी प्रो. राजबीर सिंह ने डॉ. अशोक की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय लिया।

 कार्यकारी परिषद की मीटिंग में इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च (इमसार) की अनुशंसा पर क्लास और संस्थान में लगातार गैरहाजिर रहने के कारण प्राध्यापिका डॉ. अपर्णा भारद्वाज को निलंबित किया गया। साथ ही डॉ. अपर्णा के खिलाफ नियमानुसार विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

 कोर्ट के निर्णय अनुसार शारीरिक शिक्षा विभाग के प्राध्यापक डॉ. कुलताज की पीएचडी डिग्री को वापस लेने का निर्णय लिया गया। साथ ही समिति की सिफारिशों के अनुसार किसी भी वित्तीय लाभ की वसूली करने का निर्णय लिया गया। वित्त विभाग के मूल्यांकन के अनुसार डॉ. कुलताज सिंह से लगभग 18 लाख रुपए की रिकवरी की जाएगी।

एमडीयू वीसी प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि यूनिवर्सिटी में छात्रों को सुरक्षित माहौल देना, उनकी प्राथमिकता है। अगर कोई प्रोफेसर किसी छात्र के साथ गलत करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न मामले में एक प्रोफेसर की सेवाओं को समाप्त किया है। वहीं, एक गैरहाजिर रहने पर एक प्राध्यापिका और कोर्ट के निर्णय अनुसार एक प्रोफेसर की पीएचडी डिग्री वापस लेने का निर्णय लिया है।