पर्यावरण संरक्षण के लिए पराली प्रबंधन करना जरूरी: डीसी
भिवानी।
डीसी साहिल गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पराली प्रबंधन करना जरूरी है। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और मित्र कीट भी मर जाते हैं। भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है।
किसान पराली ना जलाएं और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की फसल अवशेष प्रबंधन व कृषि यंत्रों आदि से संबंधित योजनाओं का लाभ उठाएं।
डीसी साहिल गुप्ता पंचायत भवन में पराली प्रबंधन पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जागरूकता कार्यक्रम में कृषि विभाग के अधिकारियों के अलावा धान बिजाई से संबंधित गांवों के पंचायत प्रतिनिधि, राजस्व विभाग, पंचायत व पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
डीसी ने कहा कि पराली जलाने के मामले में गांव कंलिगा व बवानीखेड़ा यलो जोन में आता है, यदि ये गांव पराली प्रबंधन का प्रयोग कर यलो जोन से बहार निकल सामान्य श्रेणी में आते हैं तो इन ग्राम पंचायतों को 26 जनवरी के अवसर पर जिला स्तरीय समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
इसके साथ ही डीसी ने पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से किसानों का आह्वान किया कि वे पराली जलाने की बजाय फसल अवशेष प्रबंधन कर पराली को कृषि यंत्रों की सहायता से मिट्टी में मिलाए और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। इसके साथ ही डीसी ने पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने वाली गठित टीमों को निर्देश दिए कि वे निगरानी के साथ-साथ लोगों में पराली नहीं जलाने के बारे में जागरूकता लाएं।
कार्यक्रम के दौरान कृषि उप निदेशक डा. विनोद फोगाट ने जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए पराली न जलाने का जागरूकता अभियान के अलावा धान बिजाई वालों गांवों में 229 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
इसके लिए विभिन्न विभागों कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पंचायत विभाग व पुलिस विभाग के अधिकारियों की इंफोर्समेंट टीम भी बनाई गई हैं और धारा 163 लागू कर दी गई है। हर खेत पर सैटलाईट मॉनिटरिंग सिस्टम द्वारा सख्त निगरानी रखी जा रही है।
सहायक कृषि अभियंता डॉ. नसीब धनखड़ ने प्रोजेक्टर पर पराली प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धान बिजाई वाले ग्रीन जोन के गांव में प्रत्येक 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। मोबाइल एप के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है।
हर एक किसान के प्रत्येक किला नंबर पर सीआरए. मोबाइल एप के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। किसान पराली का प्रबंधन इन-सिटू अथवा एक्स-सिटू माध्यम से कर सकता है या पराली का उपयोग पशु चारे के रूप मे कर सकता है। फसल अवशेष के इन-सीटू व एक्स-सीटू प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार द्वारा 1200 रु प्रोत्साहन राशि डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान डा. संजय मेचू ने मंच संचालन करते हुए कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं मेरा फसल-मेरा ब्यौरा, प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी आदि बारे विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान एसडीएम भिवानी महेश कुमार ने कार्यक्रम में मौजूद सभी का आभार प्रकट किया। इस मौके पर एसडीएम सिवानी विजया मलिक, डीएसपी महेश कुमार, बीडीपीओ सोमबीर कादयान, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आरओ सुनील श्योराण, कृषि विभाग से एसडीओ भिवानी डॉ. संजय मक्कड, सतेंद्र बेनीवाल, नायब तहसीलदार गौरव राजोरा, सुरेश कुमार, अशोक कुमार, अंकित सहित कृषि, पंचायत, राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारी, कर्मचारी तथा धान बिजाई वाले गांवों के सरपंच और किसान मौजूद रहे।

