भीम स्टेडियम के दो मुक्केबाजों ने 68वीं स्कूली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीता स्वर्ण व रजत पदक

भिवानी:
जब भी कभी प्रदेश, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मुक्केबाजी प्रतियोगिता होती है तो उसमें मिनी क्यूबा भिवानी के मुक्केबाज जरूर भागीदारी करते हुए अपने पंचों का दम दिखाने से नहीं चूकते।
इसीलिए भिवानी को मिनी क्यूबा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां के मुक्केबाज विभिन्न प्रतियोगिताओं में भागीदारी कर ना केवल भिवानी का नाम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते रहते है।
इसी कड़ी में अब स्थानीय भीम स्टेडियम में मुक्केबाज प्रशिक्षक राहुल की देखरेख में अभ्यासरत्त मुक्केबाज गांव बापोड़ा निवासी सुरेश कुमार के पुत्र लव सिंह व गांव हरिपुर निवासी मुकेश कुमार के पुत्र अमन ने 68वीं स्कूली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अंडर-19 आयु वर्ग में खेलते हुए क्रमश: स्वर्ण व रजत पदक हासिल कर मिनी क्यूबा भिवानी का नाम देश भर में रोशन किया है।
दोनों खिलाड़ी डीपीई दीपक चौधरी व डीपीई चीनू के नेतृत्व में दिल्ली में प्रतियोगिता में भाग लेने गए थे। पदक विजेता दोनों खिलाडिय़ों का स्थानीय भीम स्टेडियम में पहुंचने पर जिला खेल अधिकारी सतेंद्र कुमार के नेतृत्व में खेल प्रशिक्षकों एवं खिलाडिय़ों ने जोरदार स्वागत किया।
प्रतियोगिता के बारे में जानकारी देते हुए मुक्केबाज प्रशिक्षक राहुल ने बताया कि 30 अप्रैल से 5 मई तक दिल्ली के जीएन सिटी में आयोजित हुई 68वीं स्कूली राष्ट्रीय प्रतियोगिता मे गांव बापोड़ा निवासी लव ने 60 से कम भार वर्ग में स्वर्ण तथा गांव हरिपुर निवासी अमन ने 52 से कम भार वर्ग में रजत पदक हासिल किया है।
कोच राहुल ने कहा कि पदक विजेता खिलाडिय़ों के सम्मान समारोह से खिलाडिय़ों को सार्वजनिक रूप से पहचान एवं सम्मान मिलता है, जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि खेल एक तरफ जहां युवाओं को अनुशासन में रहना सिखाता है तो वही एकाग्रता के स्तर को भी बढ़ाता है। इसीलिए प्रत्येक युवाओं को खेलों में बढ़-चढक़र भाग लेना चाहिए।
खिलाडिय़ों को सम्मानित करते हुए जिला खेल अधिकारी सतेंद्र कुमार ने कहा कि पहला सुख निरोगी काया है तथा निरोगी काया प्राप्त करने के लिए खेल सर्वोत्तम अभ्यास है। उन्होंने कहा कि खेल के दम पर आज भिवानी की पहचान विश्व भर में है।
उन्होंने कहा कि खेलों में भाग लेकर युवा स्वयं को शारीरिक व मानसिक तौर पर मजबूत बना सकते है, जो कि उनके सुनहरे भविष्य की नींव है। ऐसे में सभी युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ खेलों को जरूर अपनाना चाहिए।