चंडीगढ़।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से क्रिकेटर युवराज सिंह को थोड़ी राहत मिली है। युवराज सिंह द्वारा जातिगत टिप्पणी की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने समुदायों के बीच नफरत फैलाने की धारा को रद्द कर दिया है। हरियाणा पुलिस ने युवराज सिंह के खिलाफ आईपीसी की धाराओं तथा एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।
हाईकोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के तहत लगाई गई धाराओं में युवराज सिंह को कोई राहत नहीं दी है, लेकिन आईपीसी की धाराएं हटा दी हैं। एक लाइव कार्यक्रम के दौरान युवराज सिंह द्वारा कथित रुप से साथी खिलाड़ी को लेकर यह आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। 2020 के इस मामले में 14 फरवरी, 2021 को केस दर्ज हुआ था।
अप्रैल 2020 की यह विवादित विडियो बताई गई थी। इसे इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया था। हांसी के रजत कलसन की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153-ए(नफरत फैलाने), 153-बी(राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले बयान देना) तथा एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। यदि अपराध साबित हो जाता है तो उन्हें 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
एससी समाज के लिए कल्याणकारी काम करने की दलील भी नहीं चली
हाईकोर्ट जस्टिस अमोल रतन सिंह की बेंच ने युवराज सिंह की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि उनके केस में आईपीसी संबंधी धाराएं लागू नहीं होती। हाईकोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के तहत केस को जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया है।
इससे पहले युवराज सिंह कह चुके हैं कि उन्होंने किसी अन्य संदर्भ में इसका प्रयोग किया था। उनकी मंशा किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। युवराज सिंह की उस दलील को भी हाईकोर्ट ने केस रद्द करने के लिए नाकाफी बताया, जिसमें उन्होंने एससी एसटी समाज के लोगों के लिए चैरिटेबल काम करने की इच्छा जताई थी।
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