भिवानी:
संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस एवं कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में जिला के गांव कालुवास स्थित सतलोक आश्रम में जारी चार दिवसीय विशाल भंडारे व सत्संग के तीसरे दिन सोमवार को रमैणी (बिना दहेज की) शादी एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। बिना दहेज की 6 (रमैणी) शादियां करवाई गई तथा रक्तदान शिविर में 154 रक्तदाताओं ने रक्तदान किया। इस मौके पर भजन, सत्संग एवं भंडारे का भी आयोजन जारी रहा, जिसमें भिवानी सहित चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, नारनौल, रेवाड़ी, अलवर, हिसार व आस पास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में संत रामपाल महाराज के शिष्य और आम नागरिक पहुंचे। इस मौके पर आश्रम सेवा समिति के सेवादार अंजू बाई दासी, भगत धर्मपाल दास, भगत जगवीर दास वकील, मा. वजीरदास तथा भगत बलवान ने बताया कि 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी महाराज ने कबीरपंथी संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा ली थी। इसीलिए इस दिन को बोध दिवस पर्व के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि 506 वर्ष पूर्व परमात्मा कबीर जी ने सशरीर सतलोक गमन किया था। इसीलिए इस दिन को निर्वाण दिवस पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में आयोजित चार दिवसीय भंडारे एवं सत्संग की कड़ी में सोमवार को रमैणी शादियां व रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि सतभक्ति के बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है। हम सभी ने सच्चे गुरु से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करनी चाहिए, जिससे हमें पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा।
सतभक्ति के बल से हमे सतलोक में स्थाई स्थान प्राप्त होगा और हम सदा के लिए सुखी हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि कि दहेज विष के समान है। ऐसे में दहेज रूपी दानव को समाज से मिटाने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। वही रक्तदान शिविर के बारे में उन्होंने कहा कि रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम जरूरतमंद लोगों के लिए वरदान साबित होते है। इस अवसर पर वर-वधु पक्ष के मौजूद परिजनो ने इस तरह की दहेज रहित शादियों की तारीफ करते हुए कहा कि ये समाज में फैली बुराइयों को समाप्त करने में मील का पत्थर साबित होंगी। कार्यक्रम के आयोजन में जिला कोर्डिनेटर भगत नानकदास, भगत धर्मबीदास, भगत नरेंद्र दास का भी विशेष सहयोग रहा।
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