पीटीआई के लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने दिया उन्हे रोजगार का तोहफा : राजेश ढ़ांडा

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भिवानी :

देर आए-दुरूस्त आए, आखिरकार 39 माह बाद पीटीआई का संघर्ष रंग लाया। सरकार उनकी मांगों को मानने और नौकरी बहाली को लेकर राजी हो गई। करीबन साढ़े तीन वर्षो तक जिन घरों में चूल्हे ढ़ंग से नहीं जले और बच्चे सुविधाओं को मोहताज रहे, उनके लिए सरकार का यह फैसला दीपावली से कम नहीं है। पीटीआई के संघर्ष के दौरान उनका साथ व समर्थन देने वाले विभिन्न सामाजिक, सामाजिक, मजदूर, किसान संगठनों की की बैठक शनिवार को स्थानीय लघु सचिवालय के समक्ष हुई। जिसकी अध्यक्षता हरियाणा शारीरिक शिक्षक संगठन के राज्य संयोजक राजेश ढ़ांडा ने की। इस दौरान कामरेड ओमप्रकाश ने मिठाई खिलाकर पीटीआई के धरने को समाप्त करवाया। इस मौके पर राजेश ढ़ांडा ने कहा कि सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है। इस मामले में देरी इसीलिए हुई कि सरकार पीटीआई के पक्ष को बारीकी से नहीं समझ पाई। इसी कारण मामला लंबित होता चला गया। लेकिन संतोष की बात यह है कि सरकार ने वक्त रहते पीटीआई की समस्याओं को बारीकी से अवलोकन किया और उसके बाद उनकी मांगों को मान लिया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। इसीलिए परिणाम सुखद रहे है। भले ही 39 महीनों का संघर्ष क्यो ना करना पड़ा, लेकिन सरकार ने जो उदारता दिखाई है, उससे हजारों घरों में चूल्हे रोशन हुए और परिवारों का खर्चा सुलभ हो गया। इस मौके पर हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के जिला प्रधान दिलबाग जांगड़ा ने कहा कि सरकार ने भले ही सकारात्मक पहल की है, लेकिन संघर्ष अभी भी करना पड़ेगा, क्योंकि पीटीआई की रोजगार तो दे दिया, लेकिन उन्हे करीबन 200 किलोमीटर दूर तक स्टेशन अलॉट किए गए, जिससे पीटीआई को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे पीटीआई को गृह जिला में ही ज्वाईनिंग दे। इसी दौरान पीटीआई ने कहा कि उनकी ज्वाईनिंग के लिए वे सरकार का आभार जताते है तथा अब वे अपने-अपने स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को खेल के प्रति आकर्षित करेंगे तथा खेल को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेंगे।

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