First Night: शादी का दिन हर किसी के लिए बेहद खास होता है। इस बंधन में बंधने के बाद इंसान एक नए जीवन में प्रवेश करता है। शादी के दिन कई रस्मों और रिवाजों का पालन किया जाता है। इसके बाद ही शादी संपन्न मानी जाती है।
हमारे समाज में शादी का एक अहम स्थान है। सभी धर्मों में अलग अलग रिति-रिवाओं और रस्मों के साथ शादी होती है। वहीं शादी की पहली रात को और भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात की खास रूप से तैयारी की जाती है। इसे भी रस्मों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
हालांकि, लोग अक्सर इस रस्म का नाम सुनते ही हिचहिचाने लगते हैं और आज भी इस बारे में बात करने से कतराते हैं, लेकिन यह रस्म कई मायनों में जरूरी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी की पहली रात को आखिर “सुहागरात” क्यों कहा जाता है ? इसके पीछे भी एक वजह है, तो चलिए जानते है…
क्यों शादी की पहली रात को कहा जाता है सुहागरात?
दरअसल सुहागरात शब्द संस्कृत के “सौभाग्य” शब्द से जुड़ा है। माना जाता है कि सौभाग्य से ही सुहाग का उद्गम हुआ है। सुहाग और सुहागन इन दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल विवाहित महिला के लिए किया जाता है।
सुहाग यानी पति के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए महिला को सुहाग की निशानियां जैसे सिंदूर, चूड़ियां, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र आदि पहनाया जाता है। ऐसे में सुहागन बनने के बाद शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो सुहागन बनने के बाद महिला की शादी के बाद की पहली को सुहागरात कहा जाता है।
ये भी कहा जाता है कि शादी की पहली रात नवविवाहित पति-पत्नी द्वारा भोजन, मनोरंजन, और विश्राम के अवसर पर उनके सुहाग का प्रतीक होता है। ‘सुहाग’ शब्द संस्कृत शब्द ‘सुहागिनी’ से आया है जिसका अर्थ ‘सौभाग्यशाली विवाहित महिला’ होता है। इसलिए इसे सुहागरात कहा जाता है और यह पूरी तरह से सुहाग को समर्पित होता है।