आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज पर 1 जुलाई से रोक

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करनाल।

हरियाणा में निजी अस्पतालों ने 1 जुलाई से आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज को बंद करने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य कारण हरियाणा सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत किए गए इलाज की पेमेंट न होना है। करीब छह माह से अस्पतालों का 18 करोड़ रुपए अटका हुआ है।

इस स्थिति के कारण निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार ने अपनी वाहवाही के लिए आयुष्मान स्कीम तो लागू कर दी, लेकिन धरातल पर जो स्थिति उत्पन्न हुई है, उसका समाधान सरकार छह महीने से नहीं कर पाई है।

IMA ने सौंपा DC का ज्ञापन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) करनाल के डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर आज जिला उपायुक्त उत्तम सिंह को एक ज्ञापन सौंपा। IMA के जिला प्रधान रोहित सदाना और अन्य डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान स्कीम में कई दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से TMS-2 सॉफ्टवेयर का उल्लेख किया, जिसे सरकार ने लागू किया है। डॉक्टरों का कहना है कि यह सॉफ्टवेयर बेहद खराब है और इसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सॉफ़्टवेयर समस्याएं और वित्तीय संकट

डॉ. रोहित सरदाना ने बताया पहले जो सॉफ्टवेयर चलता था, वह ठीक था, लेकिन अब सरकार ने TMS-2 सॉफ्टवेयर लागू किया है, जो बहुत ही खराब है। इससे हमारी इज्जत का सवाल हो चुका है, पैसे की बात तो अलग है। पिछले छह महीनों से हमें अलग-अलग तरीकों से टॉर्चर किया जा रहा है और अंत में हमारी पेमेंट भी नहीं हुई है।

27 जून को करनाल में एक महत्वपूर्ण मीटिंग रखी गई है, जिसमें सीएम ऑफिस और इंक्वारी ऑफिस के लोग शामिल होंगे। IMA के डॉक्टर भी इस मीटिंग में शामिल होंगे। यह मीटिंग सुबह 11:30 बजे DC ऑफिस में होगी और इसमें इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकला, तो वे 1 जुलाई के बाद आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज नहीं करेंगे।

​​​​​​​डॉक्टरों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह मुद्दा केवल पेमेंट का नहीं, बल्कि उनकी इज्जत का भी है। “तीन महीने पहले भी हमने सांकेतिक हड़ताल की थी, लेकिन प्रशासन के आश्वासन के बाद हमने हड़ताल समाप्त कर दी थी। हमें आश्वासन मिला था कि चुनाव के बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन आज भी हम परेशान हैं और कल भी परेशान रहेंगे।

यह लड़ाई अब इज्जत की लड़ाई बन चुकी है। डॉ. सदाना ने कहा कि अगर इस मीटिंग में कोई समाधान नहीं निकला, तो 1 जुलाई से करनाल के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

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