‘मेरा नाम नीतू सिंह ठाकुर है। मैं मप्र के नरसिंहपुर से बीजेपी विधायक जालम सिंह पटेल के अपराधी बेटे की पत्नी हूं। अब मैं अकेले दिल्ली में रहकर नौकरी करती हूं और अदालत में तलाक के लिए लड़ रही हूं। मैं बहुत हिम्मत करके अपनी कहानी कह रही हूं। मेरी इस कहानी से कई लोग विचलित हो सकते हैं, लेकिन ये मेरा और हमारे समाज का सच है। जो शायद आपको झकझोर दे, या नहीं भी, क्योंकि हमने कहीं ना कहीं इसे स्वीकार कर लिया है।’
साल 2016 में जब इस राजनीतिक परिवार से मेरे लिए रिश्ता आया, तब मेरी उम्र 26 साल थी। मेरे पिता भी राजनीति में थे। मैं मिलने के लिए तैयार हो गई, लेकिन पहली मुलाकात के बाद ही मैंने कह दिया कि मुझे ये शादी नहीं करनी है।
शादी के लिए मुझ पर दबाव डाला गया
मुझ पर हर तरह का दबाव डाला गया। मुझे बताया गया कि वो सिगरेट या शराब नहीं पीते हैं और जो मुकदमे हैं, वो राजनीति से प्रेरित हैं। मुझे शादी के बाद ये पता चला कि मेरे पति पर 45 आपराधिक मुकदमे हैं, जिनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे आरोप शामिल हैं।
मैंने उनकी एजुकेशन के बारे में पूछा तो बताया गया कि उन्होंने ग्रेजुएशन और PG एमिटी से की है। मेरे सामने एक सोशल वर्कर की तस्वीर पेश की गई जो महिलाओं के लिए काम करते हैं, लेकिन बाद में पता चला कि मुझसे सब झूठ बोला गया है।
वो राजनीति के लिए महिलाओं के लिए काम करने का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में उनके मन में महिलाओं के प्रति कोई सम्मान नहीं है। वो बस उन्हें भोग की वस्तु समझते हैं। बहुत दबाव में आखिरकार जब मैंने शादी के लिए हां कर दी तो उन्होंने मेरी हर चीज को कंट्रोल में लेना शुरू कर दिया।
मेरे हां करने के तुरंत बाद 10 दिन के भीतर ही फंक्शन तय कर दिए गए और मुझसे कहा गया कि मैं इस बारे में किसी को ना बताऊं। अपने किसी रिश्तेदार से भी इस रिश्ते को लेकर चर्चा ना करूं। सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हो रहा था कि मैं समझ ही नहीं पा रही थी क्या हो रहा है।
बोले, राजनीति में ये सब करना पड़ता है
मेरे हर सवाल पर इतना ही कहा जाता- राजनीति की वजह से ये सब करना पड़ता है। कई लोग हैं, जो नहीं चाहेंगे कि ये शादी हो। हम नहीं चाहते कि ये रिश्ता टूटे। उसी समय उन्होंने मेरा मोबाइल नंबर बंद करा दिया और मुझे नया नंबर दिया।
रोज मुझसे यही कहा जाता कि आपने किसी को इस रिश्ते के बारे में बताया तो नहीं। एंगेजमेंट से एक दिन पहले हमारे रिश्तेदारों को बताया गया। शादी से पहले मैं एक बार उनसे भोपाल में मिली थी। तब भी उन्होंने जबरदस्ती करने की कोशिश की।
मैंने मना किया तो नाराजगी जाहिर की। कहा कि तुम मुझे मना कैसे कर सकती हो। हालांकि, हमारी शादी नहीं हुई थी और मैं सिर्फ शारीरिक रिश्ते के लिए शादी नहीं करना चाहती थी। कोई भी लड़की सिर्फ फिजिकल रिलेशन के लिए शादी नहीं करती है।
उन्होंने अपने मन में ये गांठ बांध ली कि मैंने उन्हें मना किया। मेरा रिश्ता ही तय हुआ था, लेकिन उन्होंने मेरे कहीं भी आने-जाने पर रोक लगा दी। किसी से भी मिलने से मना कर दिया। मुझ पर नजर रखी जाने लगी। अगर मैंने फोन पर किसी से बात की तो उसकी डीटेल निकाल ली जाती थी और फिर सवाल किया जाता कि मैंने क्यों और क्या बात की। वो मेरे फोन कॉल पर नजर रख रहे थे।
हर जगह मुझ पर नजर रखी जाती
मैं कभी बाजार जाती तो ड्राइवर को फोन करके कहा जाता कि दस मिनट हो गए हैं, वो कार में क्यों नहीं बैठी है। ये सब मुझे बहुत अजीब लग रहा था। मैंने अपनी फैमिली से भी इस बारे में बात की और कहा कि मुझे ये रिश्ता ठीक नहीं लग रहा है।
मुझसे कहा गया कि अगर रिश्ता टूटता है तो समाज में गलत संदेश जाएगा, शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा। मेरी मां को लग रहा था कि एक बार तय होने के बाद अब अगर ये रिश्ता टूटता है तो मेरे लिए ठीक नहीं होगा।
एक दिन मैं गुरुग्राम में शॉपिंग कर रही थी। मुझसे इनका कॉल मिस हो गया। उन्होंने मुझे गालियां दी और कहा कि तुम्हें पता नहीं कि किसके साथ तुम्हारा रिश्ता हुआ। मैंने कहा कि मैं इस रिश्ते में नहीं रहना चाहती हूं। मैं इतनी निगरानी में नहीं रह सकती हूं।
मेरे परिजनों ने कभी मुझसे ऐसे बात नहीं की, आप भी नहीं कर सकते। उन्होंने फिर मुझे बहुत गालियां दीं और डराया-धमकाया। मैंने रिश्ता तोड़ने की बात की तो कहा गया कि अब ये शादी होकर ही रहेगी चाहे जो हो जाए। एक बार फिर मुझ पर हर तरह से दबाव डाला गया और मैं हार गई।
उन्होंने कहा कि चाहे मैं तुम्हें शादी के एक दिन बाद छोड़ दूं, लेकिन शादी अब मैं करके रहूंगा, ये मेरी जिद है। अब मुझे लगता है कि अगर मैंने तब हिम्मत दिखाई होती तो शायद हालात ऐसे ना होते।
फेसबुक पर मेरी ID बनाई, फिर डिलीट की
एंगेजमेंट से पहले तक मैं सोशल मीडिया पर नहीं थी। इन्होंने मेरी फेसबुक ID बनाई और अपने साथ मेरी तस्वीरें लगाईं। मुझसे कहा कि मैं कभी भी अकेले तस्वीर पोस्ट ना करूं। इसी बीच इनकी एक गर्लफ्रेंड ने फेसबुक मैसेंजर के जरिए मुझसे संपर्क किया।
भद्दी भाषा में मुझसे बात की और कहा कि जिससे तेरी शादी हो रही है वो तुझे पत्नी मानता ही नहीं है। वो मेरा है और मेरा ही रहेगा। मैंने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो नहीं चाहते कि ये रिश्ता रहे। इसके बाद उन्होंने मेरा फेसबुक भी बंद कर दिया।
मुझे चीजें पता चल रहीं थीं, लेकिन मैं इस रिश्ते में इतना फंस चुकी थी कि मैं शादी से पीछे नहीं हट पाई। मैंने इस उम्मीद में शादी कि हो सकता है आगे चलकर सब ठीक हो। मेरी शादी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई बड़े राजनेता शामिल हुए थे।
सबने शुभकामनाएं दी थीं, लेकिन मुझे अहसास हो रहा था कि मैं गलत जगह फंस गई हूं। शादी के अगले दिन ही मुझे पूरे परिवार के सामने बेइज्जत किया गया था। मैंने बर्दाश्त कर लिया।
शादी के दस दिन बाद ये मुझे मायके छोड़ने के बाद अपनी गर्लफ्रेंड्स से मिलने के लिए भोपाल चले गए। हमारे बीच बहुत बात नहीं हो रही थी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि शादी के दस दिन बाद ही उन्होंने मुझसे बात करना क्यों बंद कर दिया है, लेकिन सच ये था कि वो अपनी गर्लफ्रेंड्स के साथ थे और उनके पास मेरे लिए समय ही नहीं था।
जब मैं दोबारा ससुराल रहने गई तो सब कुछ मुझे बहुत अजीब लगा। मेरे पति पूरा दिन सोते, शाम को उठते, दफ्तर जाकर दारू पीते और लेट नाइट घर आते और सुबह तक जागते। मैं दो घंटे भी नहीं सो पा रही थी।
रात में मुझे उनके साथ जागना पड़ता और दिन में परिवार के साथ। जब तक ये गहरी नींद में ना सो जाएं, मुझे झपकी लेने की भी परमिशन नहीं थी। मेरा पूरा रूटीन खराब हो गया था, इसका असर मेरी सेहत पर पड़ रहा था, मेरा वजन गिर गया। मैं मानसिक अवसाद में आ गई।
शादी के बाद मुझे किसी से बात नहीं करने दी गई। एक बार भी मैं अकेले घर से बाहर नहीं निकली। मैं इतनी कमजोर हो गई थी कि मुझे सही से दिख भी नहीं रहा था। जबलपुर के अस्पताल में मुझे भर्ती किया गया।
मैं दस दिनों तक अस्पताल में थी। मेरी बैकबोन में इंजेक्शन दिया गया, इसकी वजह से मैं दो महीनों तक बैठ नहीं पाई। ये सब शादी के चार महीनों के भीतर हुआ। मुझे दिल्ली के एक साइकिएट्रिस्ट के पास ले जाया गया था, लेकिन उससे भी मैं अकेले बात नहीं कर पाई थी।
ये बाहर से दूसरी लड़कियों के साथ फिजिकल होकर आते और फिर घर में मेरे साथ रिश्ते बनाते। इससे मुझे इंफेक्शन हो गया। डॉक्टर ने कहा कि अब मैं 6 महीनों तक कंसीव नहीं कर पाऊंगी। डर मेरे भीतर तक बैठ गया था। मैं अचानक सोकर उठ जाती थी। मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है।
हमारे बीच संबंध सिर्फ शारीरिक थे। वो भी जबरदस्ती के। अपनी मर्दाना कमजोरी का गुस्सा वो मेरे जिस्म पर निकालते। मैं खुश थी या नहीं, इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं थी। मैं साल भर उनके साथ रही, उन्होंने एक बार भी मेरी आंखों में नहीं देखा।
मेरा फोन भी उन्होंने ले लिया था। कभी किसी का मैसेज आता तो वही जवाब देते। मैं जब भी अपनी सास से उनके व्यवहार के बारे में बात करती तो वो यही कहतीं- तुम उसे समझो और उसके साथ एडजस्ट करो।
मैं कभी भी अपने पति से अपने रिश्ते के बारे में कोई बात कर ही नहीं पाई। मैं कुछ भी बोलती तो वो मुझसे मारपीट करते और छोड़कर भोपाल अपनी गर्लफ्रेंड्स के पास चले जाते। मेरे पास बात करने के लिए कोई नहीं था। मैं बिलकुल अकेली हो गई थी।
घर में वो मझे एक नौकर की तरह इस्तेमाल करते। बाहर सबको ये बताते कि ये शादी उनकी मर्जी से नहीं हुई है। वो ये दिखाने की कोशिशें करते कि उनकी शादी हुई ही नहीं है। शादी के छह-सात महीनों तक मैंने एडजस्ट करने की कोशिश की।
मैं बहुत बीमार रहने लगी। अवसाद मुझ पर हावी होता जा रहा था। मुझ पर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन जब तक मेरे रिश्ते पति से बेहतर ना हों, मैं इसे और आगे बढ़ाना नहीं चाह रही थी।
मेरे फोन में हजारों तस्वीरे हैं, जिनमें ये अपनी अलग-अलग गर्लफ्रेंड के साथ हैं
धीरे-धीरे इनकी दूसरी गर्लफ्रेंड्स ने मुझसे संपर्क करना शुरू किया। हर बार जब ऐसा हुआ तो मुझे बहुत मारा-पीटा गया। किसी ने भी मेरा पक्ष लेने की कोशिश नहीं की। इनसे जुड़ी लड़कियों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि यहां बयां नहीं की जा सकती। मेरे फोन में हजारों तस्वीरें हैं, जिनमें ये अपनी अलग-अलग गर्लफ्रेंड के साथ हैं।
ये सभी गर्लफ्रेंड्स 20-22 साल की लड़कियां थी, जो शायद ड्रग्स या पैसे के लिए इनके पास आई हों। एक के बाद एक मुझे मैसेज करतीं, इन्हें पता चलता और मुझे बहुत मारा-पीटा जाता। मैं सोचती कि इसमें मेरी क्या गलती है? मैंने तो कभी किसी से बात करने की या कुछ जानने की कोशिश नहीं की, फिर ये सब क्यों हो रहा है?
ये गर्लफ्रेंड्स के साथ ड्रग्स लेते। उनकी बॉडी पर रखकर ड्रग्स लेते और वो मुझे ये बात बतातीं। मैं ये सोच नहीं पा रही थी कि इस सबसे मेरा क्या संबंध हैं, मुझे इतना प्रताड़ित क्यों किया जा रहा है?
ससुर का विधायक निवास पति की अय्याशी का अड्डा है
शादी से पहले मुझे पता नहीं था कि ये ऐसा भी करते हैं। मैंने अपने ससुर से बात की तो हमेशा उन्होंने यही कहा कि सब ठीक हो जाएगा। शादी के बाद ही मुझे पता चला कि शराब और ड्रग्स लेना इनकी रोज की आदत है।
भोपाल में मेरे ससुर का सरकारी विधायक निवास इनकी अय्याशी का अड्डा है। ये जब भी भोपाल जाते, वहां ड्रग्स और शराब की पार्टियां होतीं। कोई न कोई लड़की वहां की तस्वीरें मुझे भेज देती। एक दिन इन्होंने लड़कियों के जिस्म पर ड्रग्स रखकर नशा किया।
वो तस्वीरें इनकी गर्लफ्रेंड ने मुझे भेज दीं। इन्होंने मेरा फोन भी तोड़ दिया और मेरे साथ बहुत हिंसा की। शादी के बाद मेरा पहला बर्थडे था। ये मेरे साथ नहीं थे, अपनी गर्लफ्रेंड के साथ थे। मुझे इस बारे में पता चला तो फिर मुझे बहुत मारा-पीटा गया।
मैंने कभी इन्हें गर्लफ्रेंड्स से बात करने से नहीं रोका, मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, क्योंकि मुझे पता था कि अगर मैं कुछ बोलूंगी तो फिर मेरे साथ हिंसा की जाएगी।
न करने पर गला दबाया जाता
हमारा रिश्ता ऐसा था कि ये बस फिजिकल होने के लिए मेरे साथ होते। उसमें भी बस जबरदस्ती ही करते। मैंने न किया तो कभी उसका सम्मान नहीं किया गया। मैं न करती तो इतनी जोर से मेरा गला दबाया जाता कि मैं सांस तक नहीं ले पाती।
सबको पता था कि मेरे साथ गलत हो रहा है, लेकिन परिवार में किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की। मुझसे कहा जाता कि उसे जो करना है, वो करेगा। मुझे ही सहना होगा, बर्दाश्त करना होगा। रात भर मैं प्रताड़ित होती और दिन भर घर का काम संभालती।
पहले मुझे लग रहा था कि मेरे पति ही गलत हैं, फिर लगा कि इसमें सब शामिल हैं। मेरे लिए सबसे दर्दनाक ये था कि परिवार की कोई महिला कभी मेरी मदद के लिए आगे नहीं आई। उस वक्त घर में मेरी हम उम्र लड़कियां थीं, लेकिन उन्होंने भी कभी मेरे दर्द को नहीं समझा।
घरवालों को बातें बताईं तो उन्होंने कुंडली का दोष बताया
जब मैंने लड़के के घरवालों को ये बातें बताईं तो उन्होंने कुंडली का दोष बता दिया। मुझसे कहा कि किसी ने टोटका किया है। उनकी गर्लफ्रेंड्स के बारे में कहा कि ये हमें फंसाने की राजनीतिक साजिश है। जो भी कुछ हो रहा था, उसे मेरी कुंडली का दोष बता दिया जाता था। घर के नौकरों को मुझ पर तरस आता था।
एक दादी थी, जो मुझसे कहती थीं कि तू यहां रहेगी तो मर जाएगी। यहां से भाग जा, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। मैं दरवाजे की तरफ उम्मीद से देखती थी कोई आए और मुझे इस नरक से निकाल ले।
जब मुझे लगा कि अब मैं यहां जिंदा नहीं रह पाऊंगी या मेरे पति ही मुझे मार देंगे तो मैंने बहुत हिम्मत करके अपने भाई को ससुराल बुलाया। सिर्फ अपनी डिग्री और दस्तावेज लिए और उस घर से हमेशा के लिए निकल गईं।
इतनी कमजोर हो गई थी कि बिना सहारे खड़ी भी नहीं हो पाती थी
मेरे पूरे जिस्म पर जख्म थे। मैं इतना कमजोर थी कि बिना सहारे के खड़ी नहीं हो पाती थी। मेरे चेहरे पर भी निशान थे। मेरी मां ये सब जानकर बहुत दुखी हुईं। अपने घर पहुंचकर दो दिन तक बस सोती रही। मैंने जब अपने पिता को ये सब बताया तो वो बुरी तरह टूट गए।
उन्होंने सोचा नहीं था कि मेरे साथ ये सब हुआ है। वो बस खामोश हो गए। सिर्फ इतना ही कहा कि जो भी हो, हम तुम्हारे साथ हैं। मैं डेढ़ साल अपने मायके में रही। फिर हिम्मत करके नौकरी करने दिल्ली आ गई। अब मैं एक छोटी सी नौकरी कर रही हूं। किसी भी तरह इस रिश्ते से निकलना की कोशिश कर रही हूं।
मेरी मां अब अवसाद में हैं। मेरे पिता बीमार हैं। मेरे खराब रिश्ते का उन पर गहरा असर हुआ है। मैं उनका ध्यान रखने की कोशिश कर रही हूं। मेरा तलाक का मुकदमा चल रहा है, लेकिन वो एक बार भी अदालत नहीं आए हैं।
बस इतना ही कहते हैं कि तुम्हें हमारी ताकत का अंदाजा नहीं है। मैंने FIR कराई है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मैंने पार्टी के बड़े नेताओं को संदेश किए और अपने मामले की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन सबने नजरअंदाज कर दिया।
सरकार को बताना चाहिए कि बेटी को किससे बचाना है
सरकार बेटी बचाओ का नारा देती है। सरकार को ये भी बताना चाहिए कि बेटी को किससे बचाना है और कैसे बचाना है। वो अपनी गर्लफ्रेंड्स के साथ हैं। उनकी ड्रग्स पार्टियां चल रही हैं, लेकिन मेरे छह बेशकीमती साल इस खराब रिश्ते में गुजर गए हैं।
कितनी ही बार आत्महत्या का ख्याल मेरे मन में आया है। मैंने हर दिन हालात से जंग लड़ी है। मैं जानती हूं ये लड़ाई बहुत लंबी है और मुझे बहुत हौसले की जरूरत होगी। अब मैंने अपनी ये कहानी कही है ताकि किसी और लड़की के साथ ऐसा ना हो। कोई और लड़की ऐसे खराब रिश्ते में हो तो निकलने की कोशिश करे। सरकार और समाज उसे न्याय दिलाने के लिए आगे आए।
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