पौष्टिक अनाज, ग्लूटेन मुक्त, फाइबर युक्त, विटामिन से भरपूर श्री अन्न यानि मोटा अनाज पोषण का खजाना है: कृषि मंत्री जेपी दलाल

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भिवानी।     

प्रदेश के कृषि एवं पशु पालन मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। पौष्टिक अनाज, ग्लूटेन मुक्त फाइबर युक्त विटामिन से भरपूर अन्न यानि मोटा अनाज पोषण का खजाना है। मिलेटस में बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलन में विदेशी मेहमानों को मोटे अनाज व मोटे अनाज से बने बिस्कुट आदि फुड प्रोडेक्ट परोसे गए। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी विदेशों में मोटे अनाज का प्रचार-प्रसार किया गया है ताकि देश के किसानों की आय में वृद्धि हो। वह दिन दूर नहीं जब हरियाणा के किसानों का मोटा अनाज विदेशों में निर्यात होगा।
कृषि एवं पशु पालन मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से और देश की हर थाली में इसकी मौजूदगी के लिए उन्होंने 2018 में खास अभियान चलाया है, जिसका नतीजा यूएन ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। इसी नतीजे के आधार पर आज पूरा विश्व मोटे अनाज की अहमियत समझ रहा है। उन्होंने बताया कि कभी वो दौर था कि हर भारतीय घर की थाली में कोई न कोई मोटा अनाज जरूर नजर आता था, लेकिन धीरे-धीरे खानपान के तरीके इस कदर बदले की थाली में अनाज कम जंक फूड ज्यादा नजर आने लगा। देश का हर नागरिक सेहतमंद रहे इसके लिए सुपरफूड मिलेट्स को हर घर की पंसद बनाने के लिए सरकार की कोशिशों के नतीजन मोटा अनाज एक बार फिर चलन में शुरू हो चुका है।
दलाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में मिलेट्स जैसे मोटे अनाज का जिक्र किया था। इस दौरान उन्होंने मोटे अनाज के लिए लोगों में जागरुकता लाने और लोगों की थाली में इसकी मौजूदगी के लिए जन आंदोलन चलाने की बात भी कही थी। पीएम मोदी ने मोटे अनाज को कुपोषण के खिलाफ कारगर हथियार तो डायबिटीज और हाइपरटेंशन सरीखी बीमारियों को दूर भगाने का जरिया बताया था।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार मोटे अनाज (मिलेट्स) को बढ़ावा देगी। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहन के साथ-साथ फसल उगाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सरकारी पर्यटन केंद्रों के मेन्यू में भी मोटे अनाज को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मुख्य रूप से बाजरा फसल को ही मोटे अनाज के रूप में उगाया जाता है। बाजरा/ज्वार पोषक अनाज से अपार संभावनाएं हैं। यह गेहूं और चावल की तुलना में कम कार्बन अपशिष्ट के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है। इसके लिए कृषि विभाग में विशेष रूप से कार्यशालाओं गोष्ठी, मेले व प्रशिक्षण शिविरों के लिए विशेष योजना तैयार की गई है, ताकि इन फसलों को पीडीएस, मिड-डे मील व अन्य राज्य की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से आम लोगों की खाद्य आदतों में शामिल किया जा सके।
 मोटे अनाज को बढ़ाव देने के लिए गोकलपुरा में बनाया जा रहा है मोटा अनाज अनुसंधान केंद्र: जेपी दलाल
कृषि एवं पशु पालन मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि मोटे अनाज को बढ़ाव देने के लिए हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय हिसार द्वारा जिले के गांव गोकलपुरा में मोटे अनाज अनुसंधान केंद्र का निर्माण करवाया जा रहा है। इस केंद्र के माध्यम से किसानों को मोटे अनाज के प्रति जागरूकत किया जाएगा। इस केंद्र पर मोटे अनाज की नई-नई किस्म इजात की जाएगी। इस केंद्र का निर्माण कार्य युद्घ स्तर पर किया जा रहा है। 50 करोड़ रूपए की लागत से करीब 64 एकड़ में बनने वाले इस अनुसंधान केंद्र का निर्माण कार्य अतिशीघ्र पूरा हो जाएगा। किसानों को मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए नई-नई जानकारी दी जाएगी।
मोटे अनाज से बीमारियां होती हैं खत्म
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. आत्मा राम गोदारा ने बताया कि मोटे अनाज (मिलेट्स) की पौष्टिकता के महत्व बारे लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। पोषक-अनाज से काफी बीमारियां खत्म हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह अनाज शरीर को पोषण देने और ठीक करने की क्षमता के लिए पहचाने जाते हैं। बड़ी मात्रा में फाइबर, खनिज और प्रोटीन से युक्त, ये अनाज पोषण का एक पावर हाउस हैं। जो प्रचलित जीवनशैली रोगों का इलाज और प्रबंधन कर सकता है जैसे कि मधुमेह, रक्त शर्करा, उच्च रक्तचाप, हाईपरथायरायडिज्म आदि है। उन्होंने कह कि भोजन में कोदरा, कंगनी, कुटकी, स्वंक, हरी कंगनी, ज्वार, बाजरा, रागी और चीना आदि का प्रयोग करना चाहिए। स्वस्थ भोजन बीमारियों को कंट्रोल करता है।

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