एससी/एसटी एक्ट से संबंधित मामलों में ठोस कार्यवाही करें अधिकारी-डॉ. रविंद्र बलियाला

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भिवानी।  

हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र बलियाला ने स्थानीय पंचायत भवन में अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की शिकायतें सुनी और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। इस दौरान कुल 28 मामले रखे गए और इसके अतिरिक्त नौ अन्य मामलों की भी सुनवाई की गई। डॉ. बलियाला ने पुलिस अधिकारियों को एससी/एसटी एक्ट से संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित लोगों को सरकार के नियमानुसार समय पर आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। सरकार द्वारा एससी पीड़ित को आठ लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
हरियाणा एससी आयोग के अध्यक्ष डॉ. बलियाला ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इन मामलों में बिना किसी देरी के ठोस कार्यवाही करें ताकि आरोपी बच न सके। उन्होंने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों की रिपोर्ट की कॉपी तुरंत तहसील कल्याण अधिकारी को मुहैया करवाई जाए ताकि पीड़ितों को आर्थिक सहायता मिलने में देरी न लगे। उन्होंने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एससी/एसटी एक्ट से संबंधित दर्ज मामलों में पीडि़तों को निर्धारित समय व कानूनी प्रक्रिया के अनुसार सहायता राशि प्रदान करवाई जाए।
डॉ. बलियाला ने बताया कि आज 28 मुकदमों की सुनवाई की गई है। जिनमें अधिकतर में या तो समझोते हो चुके हैं या पुलिस द्वारा चालान पेश किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि तीन मुकदमें ऐसे थे, जिनके चालान पेश करने के लिए पुलिस को एक सप्ताह का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि आयोग का मुख्य उद्देश्य पीडि़त का न्याय दिलाना है। आयोग समझौते हुए मुकदमों की भी जांच करता है कि कहीं दवाब या लालच में तो फैसला नहीं कराया गया है। उन्होंने कहा कि आयोग का गठन होने से लोग जागरूक हुए हैं। प्रशासन भी सक्रिय हुआ है और आयोग भी सक्रिय है। डॉ. बलियाला ने कहा कि समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे, इसके लिए प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि कई मामले ऐसे आ जाते हैं कि छोटी सी बात पर बड़ा विवाद बन जाता है। आयोग का प्रयास रहता है कि वे छोटी-छोटी बातों पर समाज में बड़ा विवाद न फेले।
विभाग के उपाध्यक्ष बिजेंद्र बडग़ुजर ने बताया कि गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों पर अत्याचार किए जाने पर सरकार द्वारा पीडि़त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता दी जाती है। उन्होंने बताया कि अत्याचार के मामलों में चल-अचल संपत्ति का नुकसान, स्थाई या अस्थाई अपंगता, बलात्कार, हत्या और अन्य किसी प्रकार की हानि आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि पीडि़त व्यक्तियों को 85 हजार रूपए से लेकर आठ लाख रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर आयोग सदस्य रतन लाल बामनिया, रवि तारनवाली, मीना नरवाल, कुसुम, पुलिस अधीक्षक वरूण सिंगला, अतिरिक्त उपायुक्त अनुपमा अंजलि, एएसपी लोगेश कुमार, जिला कल्याण अधिकारी देवेन्द्र सिंह, तहसील कल्याण अधिकारी राजकुमार व अश्वनी कुमार  सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारी व गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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