चंडीगढ़।
लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार सूबे के कच्चे कर्मचारियों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। सरकार 10 साल तक की सेवा वाले अस्थायी कर्मचारियों के लिए पॉलिसी बना रही है। हालांकि, अभी इस मामले में पॉलिसी का प्रारूप ही तैयार किया गया है। सरकार इस मामले में कई स्तर पर चर्चा कर चुकी है।
एडवोकेट जनरल कार्यालय (AGO) की भी राय ले रही है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो सरकार डिमिनिशिंग कैडर सृजित कर ऐसे कर्मचारियों की सेवाओं को रेगुलर करेगी।
ऐसे हुआ खुलासा
हरियाणा सरकार अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए रेगुलराइजेशन पॉलिसी बना रही है। इसका खुलासा 4 जनवरी 2024 को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान हुआ। सुनवाई करते हुए एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने रेगुलराइजेशन पॉलिसी तैयार किए जाने की सूचना दी है। सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अमन चौधरी की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित किया है।
HC ने अपने आदेश में ये लिखा
सुनवाई के दौरान HC ने अपने आदेश में लिखा है, ‘AG ने बताया है कि CS की तरफ से 21 दिसंबर 2018 को जारी पत्र के आधार पर हरियाणा सरकार ने डिमिनिशिंग कैडर सृजित करने के लिए उन एडहॉक कर्मचारियों की सेवाएं नियमित करने की पॉलिसी बनाने का फैसला किया है, जिनकी लंबी सेवा होने के बावजूद स्वीकृत पद न होने के कारण नियमित नहीं हो सकी थी।
उन्होंने आग्रह किया है कि इस पॉलिसी को रिकॉर्ड पर लेने के लिए पांच सप्ताह का समय दिया जाए। सुनवाई 13 फरवरी 2024 के लिए स्थगित की जाती है।
इन कर्मचारियों को लगेगा झटका
इस पॉलिसी के तहत आउटसोर्सिंग पालिसी पार्ट-1 वाले कर्मचारी इस रेगुलराइजेशन पॉलिसी से बाहर हो सकते हैं। इसी तरह NHM और अन्य संस्थाओं वाले कर्मचारी भी बाहर हो सकते हैं। मगर, जो पे स्केल में स्वीकृत पद पर कॉन्ट्रेक्ट के माध्यम से लगे, एक तय वेतन वाले स्वीकृत पद पर कॉन्ट्रेक्ट के माध्यम से लगे, हस्ट्रॉन के जरिए लगे और जिसने 10 साल की सेवा पूरी कर ली हो, वाले कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
इसमें 10 साल की सर्विस की गणना हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRNL) के जरिए एंगेज वाली सर्विस भी हो सकती है।
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