हरियाणा में 31 मार्च तक लागू होंगे 3 नए अपराधिक कानून, जान लें खासियत

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हरियाणा में 31 मार्च तक नए अपराधिक कानून पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नायाब सैनी के साथ मीटिंग की थी। इस बैठक में यह फैसला लिया गया है।

इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, सीएम के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, राज्य के मुख्य सचिव डॉ। विवेक जोशी और पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

अमित शाह ने दिए निर्देश
मीटिंग के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेंसिक से संबंधित नए प्रविधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की।

अमित शाह ने हरियाणा सरकार को तकनीक के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि राज्य के हर जिले में एक से ज्यादा फॉरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध होनी चाहिए।

अमित शाह ने कहा कि जीरो FIR की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी डिप्टी सुपरिंटेंड लेवल के अधिकारी की हो और प्रदेशों के हिसाब से अन्य भाषाओं में इनका अनुवाद सुनिश्चित हो। राज्य के पुलिस महानिदेशक सभी पुलिसकर्मियों को निर्देशित करें कि समय पर न्याय दिलाना उनकी प्राथमिकता है।

उन्होंने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को सभी पुलिस अधीक्षकों द्वारा निर्धारित समय- सीमा के तहत मामलों की जांच सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हरियाणा के सीएम को प्रत्येक 15 दिन बाद और मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक बार तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए।

3 नए आपराधिक कानूनों की विशेषताएं
पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह अपराध बना है।
मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा।
पीड़ित कहीं भी दर्ज करा सकेंगे FIR, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी।
किसी भी प्रदेश को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं होगा। पीड़ित पक्ष की सुनवाई होगी।
तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, FIR, केस डायरी, चार्जशीट और जजमेंट डिजिटल होंगे।
तलाशी और जब्ती में ऑडियो- वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।
गवाहों के लिए ऑडियो- वीडियो से बयान रिकॉर्ड कराने का विकल्प होगा।
7 साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फॉरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य।
छोटे- मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान होगा।
पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर जमानत दी जाएगी।
भगौड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त की जाएगी।
इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकॉर्ड साक्ष्य माने जाएंगे।
भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलता रहेगा।