टीबी कंट्रोल प्रोग्राम में भिवानी को मिला कांस्य पदक

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टीबी उन्मूलन अभियान की समीक्षा बैठक में उपायुक्त आरएस ढिल्लो ने दी जानकारी
जागरूकता अभियान के लिए उपायुक्त आरएस ढिल्लो ने दिए रूपरेखा तैयार करने के निर्देश
भिवानी ।   

देश को वर्ष 2025 तक टीबी से मुक्त करने के अभियान को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर जिला भिवानी को कांस्य पदक मिला है। यह स्वास्थ्य विभाग और उसकी टीम की मेहनत का परिणाम है। जागरूकता लाकर हम लोगों को टीबी की गिरफ्त में आने से बचा सकते हैं। जागरूकता अभियान के लिए विशेष रूपरेखा तैयार की जाए और गांव-गांव में जाकर लोगों को टीबी के लक्षणों के बारे में और उसके उपचार के लिए जागरूक किया जाए।
ये जानकारी उपायुक्त ढिल्लो ने स्थानीय डीआरडीए सभागार में टीबी उन्मूलन को लेकर पिछले तीन साल में चलाए गए कार्यक्रम की समीक्षा बैठक में दी। बैठक में निर्देश देते हुए उपायुक्त ने बताया कि टीबी रोग के बारे में विशेष कर स्लम बस्तियों व उद्योगों मेें काम करने वाले लोगों को जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करें वे धूल और धूएं से बचें। जागरूकता कार्यक्रमों में एनजीओ को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि जागरूकता से टीबी उन्मूलन संभव है। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीज के उपचार के दौरान भी पूरी निगरानी रखना जरूरी है ताकि वह बीच में उपचार को न छोड़े। इसी प्रकार से टीबी मरीज को हर महीने दी जाने वाली 500 रुपए की सहायता राशि भी देना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा निजी अस्पतालों व कैमिस्ट से भी टीबी मरीजों का डाटा एकत्रित किया जाए।
इस दौरान स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ. राजेश राजू ने बताया कि जिला भिवानी की टीम द्वारा बेहतर कार्य किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप जिला को कांस्य पदक हासिल हुआ है। इस दौरान जिला टीबी रोग प्रभारी डॉ. सुमन विश्वकर्मा ने बताया कि जिला में पिछले साल 2807 मरीजों ने टीबी का उपचार लिया है और 90 प्रतिशत मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं।
उन्होंने उपायुक्त ढिल्लो को बताया कि जिला मेें समय-समय पर टीबी उन्मूलन के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जल्द ही जिला में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जिसकी रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जिला में चार मोबाईल वैन हैें, जो एक दिन में 24 गांवों को कवर करेगी। गांवों मेें जाने से पहले संबंधित गांव में पंचायत विभाग के माध्यम से मुनादी करवाई जाएगी। मोबाईल वैन में टीबी जांच की सुविधा होगी। लोगों को टीबी से बचाव व टीबी के लक्षणों के बारे में जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जागरूकता अभियान शिक्षा विभाग, पंचायत विभाग, आशा वर्कर और सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।

क्या है टीबी रोग
टीबी एक फेफड़ों का गंभीर रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है। यह हड्डियों के जोड़, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के उपर की झिल्ली आदि में भी हो सकता है। यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हंै। यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटो तक हवा में रहते हंै। साफ-सफाई का ख्याल ना रखने से भी टीबी होती है। टीबी से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से, उसकी चीजों को छूने से भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है तथा धूम्रपान व एल्कोहल के सेवन से भी लोगों में क्षय रोग यानी टीबी की बीमारी हो जाती है।

ये हैं टीबी के लक्षण
टीबी के लक्षण जैसे खांसी होना, खांसी में बलगम आना, साथ ही बलगम में खून भी आ सकता है। टीबी से ग्रस्त होने पर भूख कम लगती है वही व्यक्ति को सुस्ती, थकान और कभी-कभी रात में पसीना आना, हल्का बुखार बना रहना आदि लक्षण हंै। उन्होंने बताया कि तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूर्ण कोर्स लें वह भी नियमित तौर पर लें।
बैठक में सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य, स्टेट टीबी ऑफिसर राजू के अलावा उप निदेशक स्टेट टीबी कंट्रोल प्रोग्राम डॉ. सुषमा अरोड़ा, आईएमए जिला प्रधान डॉ. रूपेंद्र रंगा, डॉ. इंदु कुमारी, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ. नीरू हिसार, डॉ. अक्षय दुहन हिसार, डॉ. रश्मि, मुख्यालय से डॉ. सरिता, डॉ. सरोज, डॉ. राजेश सोमल, डॉ. रमन अरोड़ा व डॉ. ज्योति शर्मा व जिला कैमिस्ट एसोसिएशन प्रधान देवराज महता सहित संबंधित चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।

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