भिवानी।
विश्व हृदय दिवस पर स्थानीय चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल में डीसी नरेश नरवाल के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अस्पताल में आए मरीजों को ह्रदय से सम्बंधित बीमारियों से बचाव की जानकारी दी गई।
सिविल सर्जन डा. रघुवीर शांडिल्य ने बताया कि ह्रदय रोग अत्यधिक तनाव, हाइपरटेंशन, मधुमेह, अधिक धूम्रपान, मोटापा, वसायुक्त भोजन, निष्क्रिय जीवन शैली के कारण होता है। ऐसे लोगों को हृदय रोग होने का अधिक खतरा होता है, जिनका कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और वीएलडीएल, एलडीएल अधिक होता है। अस्पताल में आए मरीजों को बताया कि आज के दौर में छोटी उम्र में ही हार्ट अटैक आ रहे हैं, जिसकी वजह आज के दौर में खान-पान व रहन-सहन में बदलाव है। इसलिए आमजन से अपील है कि वे प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज अवश्य करें। योग, रनिंग, वॉंकिंग जैसी कई एक्टिविटी हैं, जिन्हे अपना सकते हंै। एक्सरसाइज करने से कोलेस्ट्रोल और फैट कम होता है, जिससे हार्ट की सेहत बेहतर रहती है। अपने वजन को मेंटेन रखना चाहिए।
मोटापा दिल के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है जो दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हंै। स्ट्रेस दिल की बीमारियों का एक कारण हो सकता है, इसलिए मेडिटेशन, कम से कम 7-8 घंटे की नींद आदि से स्ट्रेस को मैनेज कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आहार में अधिक फाइबर लें। भोजन को चबा-चबा कर खायें। नमक, चीनी की मात्रा कम से कम लें। 30 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति को अपने बीपी और ब्लड शुगर की जांच प्रतिवर्ष करवानी चाहिए।
यदि सामान्य दरों से बीपी या ब्लड शुगर अधिक हो तो आगे की जांच, पहचान और देखभाल के लिए चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करें।
प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. एडविन ने बताया कि ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन अपने अन्य कार्यो की तरह ही व्यायाम के लिए भी समय निकालें। सुबह और शाम के समय पैदल चलें या सैर पर जांए। ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए खान-पान में विशेष सावधानी बरतें ताजे फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें। भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम कर लें। उन्होने बताया कि तनाव मुक्त जीवन जीएं। तनाव अधिक होने पर योग व ध्यान के द्वारा इस पर नियंत्रण करें। धूम्रपान व शराब का सेवन ना करें। स्वस्थ शरीर और दिल के लिए भरपूर नींद लें। उन्होने बताया कि वृद्धजनों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। वृद्धजन हमारे परिवार और समाज रूपी वृक्ष की जडें है जिन्हे हम प्यार, आदर, सम्मान और सहानुभूति रूपी जल से सींच कर इन जड़ों को और भी गहरी कर सकते है।
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