बंडारु दत्तात्रेय द्वारा प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का वर्चुवल शुभारंभ

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भिवानी।

प्रदेश के राज्यपाल बंडारु दतात्रेय द्वारा प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की वर्चुवल माध्यम से शनिवार को विधिवत शुरूआत की गई। यह कार्यक्रम रोगी केन्द्रित स्वास्थ्य प्रणाली के लिए सामुदायिक सहयोग जुटाने की दिशा में एक कदम है। राज्यपाल ने अपने भाषण में सभी नागरिकों से इन मरीजों की सहायता के लिए आगे आने तथा देश व प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्तबनाने के सपने को साकार करने का भी आह्वान किया।
स्थानीय विधायक घनश्याम दास सर्राफ इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग को 40 निक्ष्य मित्र देने का वादा किया  और कहा कि इनसे जिससे विभाग के टी बी कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी।
सिविल सर्जन डा0 रघुवीर शांडिल्य ने बताया कि जिले की सभी संस्थाओं पर उनके प्रभारी द्वारा   वर्चुवल माध्यम से सभी बातें ध्यान से सुनी । उन्होंने कहा कि अगर लोग सभी टी बी के मरीजों को गोद लेकर ध्यान रखते है तो टी बी मुक्त भारत का लक्ष्य हम अवश्य पूर्ण कर । इस प्रोग्राम में एनजीओ भी पूर्ण रुप से सहयोग कर रही है  ,जिनके द्वारा पहले भी टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है ।उन्होंने अन्य अधिकारियो व कर्मचारियों से अपील क़ी कि वे भी इस प्रोग्राम में निक्ष्य मित्र बने । उन्होंने कहा कि अगर टीबी के मरीजों को समय पर पौष्टिक आहार मिलता रहेगा तथा टीबी के मरीज की समय-समय पर जांच होती रहेगी तो टीबी के मरीज अवश्य इस बीमारी से लड़ाई लड़ सकते हैं तथा हम टीबी की बीमारी को अवश्य ही जड़ से खत्म कर पाएंगे। अभी तक कुल 26 निक्ष्य मित्र बने हैं जिनके द्वारा अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है।

वही आमजन से यह भी अपील है कि अगर कोई भी निक्ष्य मित्र बनता है तो वह अपना ऑनलाइन रजिस्टर करवा सकता है तथा अन्य जानकारी के लिए सामान्य अस्पताल भिवानी में बने टी बी  विभाग में आकर जानकारी ले सकता है।  उन्होने बताया कि जिला भिवानी को 2025 तक टीबी मुक्त तभी कर सकते है जब प्रत्येक व्यक्ति इसके प्रति जागरूक हो तथा अपना पूर्ण सहयोग देवें। उन्होने बताया कि टीबी रोग एक बेहद ही खतरनाक फेफड़ो का रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है। यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते है। यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटो तक हवा में रहते है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है, तो उसके शरीर में प्रवेश करके यह रोग उत्पन्न करता है। टीबी के बैक्टीरिया धूल में भी मौजूद होते है, जिसमें रोगी की लार, नाक, थूक आदि मिली रहती है। संक्रमित पानी तथा भोजन से भी ये मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते है। उन्होने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूर्ण कोर्स लें वह भी नियमित तौर पर लें। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और ईलाज रोक देता है इसलिए डॉक्टर से बिना पूछे दवा बन्द ना करें। इस मौके पर टॉप सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार, उप सिविल सर्जन डॉ सुमन विश्वकर्मा, उप सिविल सर्जन डॉ हेमंत कुमार, उप सिविल सर्जन डॉ मधुप शेट्टी तथा उप सिविल सर्जन डॉ दीपक जांगड़ा आदि मौजूद थे

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